रुक्मणी देवी: PRADAN से मिला मुश्किलों से जीतना का हौसला

रुक्मणी देवी किसान से शादी के बाद गुमला जिले के अलंकेरा गांव में आ गईं. संघर्षशील व्यक्ति से आत्मविश्वासी किसान के रूप में रुक्मणी देवी का ये बदलाव उनकी दृढ़ता का प्रमाण है.

author-image
मिस्बाह
New Update
SHG success story rural woman becoming agripreneur

Image: Ravivar Vichar

मुश्किल. गरीबी. परेशानी. ज़िम्मेदारी. ये सिर्फ शब्द नहीं, कई लोगों के जीवन का सच है. चुनौतियों के दौर में जब दिमाग हार मानना चाहता है, तब दिल कोशिश करने का रास्ता अपनाता है. कुछ ऐसी ही कहानी है झारखंड की रुक्मणी देवी की, जो किसान से शादी के बाद गुमला जिले के अलंकेरा गांव में आ गईं.

घरेलू सहायिका और मजदूर के रूप में काम करने पर हुई मजबूर

कम उम्र में शादी हो जाने के बाद रुक्मणी देवी (Agripreneur Rukmani Devi's success story) ने अपने जीवन में काफी कठिनाइयां देखीं. इसी बीच तीन बेटियों और एक बेटे की ज़िम्मेदारी भी बढ़ गई. उस दौरान, उसका पति शराब की ओर मुड़ गया और ये समस्या जल्द ही परिवार के लिए संघर्ष की वजह बन गई. पारिवारिक संसाधन ख़त्म हो चुके थे. कृषि भूमि बिक गई. महुआ की खेती के लिए अब कोई जगह न थी.

Agripreneur’s success story

Image Credits: femina.in

इन मुसीबतों को हल करने का रास्ता तो अभी मिला भी नहीं था कि वह विधवा हो गईं. परिवार की जीविका चलाने के लिए घरेलू सहायिका और मजदूर के रूप में काम करना शुरू कर दिया. उसने अपनी छोटी बेटी को घर से दूर रांची शहर में काम करने के लिए भेज दिया, इस आस में कि वह भी परिवार की आय में योगदान देगी.

यह भी पढ़ें : जैविक खेती से बदला SHG महिला का जीवन 

PRADAN से मिली मदद

एक मां के लिए ये फैसला आसान न था. बेटी की याद, समाज के ताने, आर्थिक परेशानियां- सबके बावजूद, रुक्मणी ने हार न मानने, उम्मीद न होने, और लगातार कोशिश करते रहने का फैसला किया. उसका एक ही लक्ष्य था - बच्चों का पालन-पोषण करना और उन्हें बेहतर भविष्य देना.

जब रुक्मणी चुनौतियों का समाधान खोज रही थी, तब उसे एक प्रमुख ग्रामीण विकास कार्यक्रम के बारे में पता चला. वह सामाजिक संगठन था PRADAN, जो सरकारी कार्यक्रम NRLM (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम) का समर्थन करता है.

कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ बनी आत्मनिर्भर

PRADAN ने उसकी दुर्दशा को पहचाना और ग्राम पंचायत के सामने ये मामला पेश किया. इन संस्थाओं के साझा प्रयासों से, रुक्मणी को विधवा पेंशन योजना सहित दूसरी कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा गया. परिवर्तन के पहिये गतिमान हुए! अगले कदम में राशन कार्ड उसके नाम पर ट्रांसफर करवाया गया - जिससे उसे यह महसूस हुआ कि वह  स्वतंत्र और सक्षम महिला हैं.

angripreneurs success story

Image Credits: femina.in

“PRADAN के मार्गदर्शन के ज़रिये, मैंने सफलतापूर्वक राशन कार्ड हासिल किया, जिसका अर्थ था मेरी ज़रूरतें पूरी होना,” वह कहती हैं.

यह भी पढ़ें :'Dadi Ki Rasoi' से Internet को महका रहीं Vijay Nischal

Self Help Group से जुड़ मिली ताकत

धीरे-धीरे, वह महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ गईं और सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन का हिस्सा बनी. ग्राम संगठन की महिलाओं और स्वयं सहायता समूह (self help group) की महिलाओं की ताकत से जुड़कर, रुक्मणी ने उन लोगों का सामना किया, जिन्होंने अनौपचारिक रूप से उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया था. समूहों के अटूट समर्थन के कारण वह गुमला के पालकोट पुलिस स्टेशन में कब्जा करने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने में सक्षम हुई. जिसके बाद उन्हें अपनी ज़मीन का स्वामित्त्व वापिस मिल गया.

अपनी नई हासिल आज़ादी और साहस से लैस होकर, उसने पंचायत और ग्राम सभा के सहयोग से, प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत अपने लिए घर बनवाया. वर्ष 2022 में जब उसके गांव में सौर लिफ्ट आई, तो सिंचाई की सुविधा हासिल कर उसने अपनी बंजर भूमि को फिर से लहलहाती फसलों से भर दिया.

DAY NRLM 2023 data on SHG

Image Credits: Google Images

यह भी पढ़ें :Millet Conservation में सबसे आगे दो tribal महिलाएं 

संघर्षशील व्यक्ति से बनी आत्मविश्वासी किसान

संघर्षशील व्यक्ति से आत्मविश्वासी किसान के रूप में रुक्मणी देवी का ये बदलाव उनकी दृढ़ता का प्रमाण है. ज़मीन सुरक्षित होने के बाद, रुक्मणी ने अपनी कृषि यात्रा को आगे बढ़ाते हुए महुआ के पौधों और सब्जियों की खेती से आजीविका को स्थायी बना लिया.

उनकी लगभग 50 हज़ार रुपये की वार्षिक कमाई ने उन्हें स्थिरता प्रदान की और अपने बच्चों की शिक्षा में निवेश करने का अवसर दिया. उनका बेटा, जो एक बार स्कूल छोड़ने पर मजबूर हुआ था, अब वापस स्कूल जा रहा है. बेटियों ने भी मामूली काम छोड़ कृषि में योगदान देना शुरू कर दिया.

रुक्मणी धीरे-धीरे किसान उत्पादक संगठन (FPO) का हिस्सा बन गईं और जिला अभिसरण कार्यक्रम का फायदा उठा रही है. अब उसने बुनाई सीख ली है, जिससे उसकी आय और बढ़ गई है. रुक्मणी देवी की कहानी इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक सही योजना या स्वयं सहायता समूह के रूप में मिली शक्ति चुनौतियों को पार करने में कारगर साबित हो सकती है.

यह भी पढ़ें : Seoni के सीताफल से बनी SHG की पहचान

SHG NRLM FPO self help group PRADAN Rukmani Devi