"श्री अन्न (बाजरा) का संरक्षण करें, उसका सेवन करें और उसे आगे बढ़ाएं. ये हमारे फायदे के लिए है. जिस तरह हम अपने शरीर को सजाते हैं, उसी तरह हम अन्न से धरती को सजाते हैं, तभी हमारी धरती खूबसूरत होगी और हम स्वस्थ रहेंगे."
यह बात भारत में बाजरा की ब्रांड एंबेसडर लहरी बाई (Brand Ambassador of Millets Lahari Bai) ने भोपाल शहर के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय (IGRMS) में 'Voice of Millets' कार्यक्रम में कही. वह बाजरे के बीजों की 150 से ज़्यादा किस्मों को संरक्षित कर चुकी है.
Brand Ambassador of Millets Lahari Bai ने बनाया millet बीज बैंक
“मैं बैगा समुदाय से हूं. जब मैं लगभग 12 वर्ष की थी, तब हमें पारंपरिक खेती में काफ़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि बीज उपलब्ध नहीं थे. मेरे दादा और दादी ने इस समस्या के बारे में सोचा और मुझसे कहा कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो एक दिन बाजरे की किस्में विलुप्त हो जाएंगी,'' लहरी बाई ने कहा. उन्होंने आगे कहा, “उनकी सलाह पर, मैंने बीज संरक्षण का काम शुरू किया और बीज बैंक बनाया. मैं किसानों को बीज देती हूं और जब फसल उगती है तो पैसे के बदले में उनसे कुछ अनाज ले लेती हूं और उसे बीज के रूप में सुरक्षित रखती हूं.”
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SHG के ज़रिये Lahiri Bai, Millet Conservation में जोड़ रही महिलाओं को
Lahiri Bai ने कहा कि उन्हें अपने काम पर गर्व है. बीज संरक्षण के काम को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने स्वयं सहायता समूह का गठन किया और इस मुहिम के साथ महिलाओं को जोड़ा.
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Lahiri Bai जैसी कई महिलाएं देश के कोने-कोने में मिलेट को वापिस लाने के लिए बाजरा खेती, बीज संरक्षण, और मिलेट आधारित फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट्स का संचालन कर रही हैं. ऐसी ही एक मिलेट सेवियर है रायमती घिउरिआ.
Raimati Ghiuria को मिली Queen of Millets की पहचान
रायमती घुरिया को 'बाजरा की रानी' या Queen of Millets के नाम से पहचान मिली है. उन्होंने न सिर्फ दुर्लभ बाजरा की 30 किस्मों को उगाया और संरक्षित किया है, बल्कि इन पौष्टिक अनाजों की खेती में सैकड़ों महिलाओं को प्रशिक्षित भी कर चुकी है.
हाल ही में हुए G20 शिखर सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया, चीन, इटली और यूरोपीय संघ जैसे देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें एक असाधारण अतिथि शामिल थीं- भारत के ओडिशा के कोरापुट के साधारण गांव से रायमती घुरिया.
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चावल और गेहूं की बढ़ती डिमांड के बीच, बाजरा को भोजन का हिस्सा बनाने के लिए, आदिवासी किसान International Year of Millets में बढ़-चढ़कर योगदान दे रहे हैं.
Raimati Ghiuria ने धान की 72 और बाजरा की 30 पारंपरिक किस्मों को किया संरक्षित
G20 शिखर सम्मेलन के दौरान, रायमती को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने का अवसर मिला. उन्होंने धान की कम से कम 72 पारंपरिक किस्मों और बाजरा की 30 किस्मों को संरक्षित किया है, जिनमें कुंद्रा बाटी, मंडिया, जसरा, जुआना और जामकोली शामिल हैं.
रायमती की बाजरा किस्मों में से एक को ओडिशा सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर रिलीस किया जाना तय है. रायमती कक्षा 7 वी तक पढ़ी हुई है. वह अपने ज्ञान का श्रेय खेतों में काम करने से मिले अनुभव को देती हैं.
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पद्मश्री कमला पुजारी है रायमती की इंस्पिरेशन
रायमती की इंस्पिरेशन 70 वर्षीय कमला पुजारी है, जिन्हें अपने पूरे जीवन में धान के बीज की सैकड़ों किस्मों का संरक्षण करने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. 16 साल की उम्र में शादी होने के बावजूद, रायमती ने खेती में रुचि कभी नहीं खोई, बाजरा इकट्ठा करना और संरक्षित करना जारी रखा.
वर्तमान में अपनी चार एकड़ भूमि पर बाजरा की खेती करते हुए, रायमती बेहतर तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल करती हैं, जिससे उनकी बाजरा खेती की उपज और गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है.
MS Swaminathan Research Foundation से सीखी Organic Farming
रायमती चेन्नई स्थित एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF) नामक गैर-लाभकारी संगठन के साथ जुड़ी हुई है. वर्ष 2000 से, फाउंडेशन ने वैज्ञानिक संरक्षण विधियों को अपनाने में रायमती की सहायता की है. इनमें Rice Intensification (SRI), धान की खेती के लिए line transplanting, the Seed Multiplication Index (SMI) और फिंगर बाजरा के लिए लाइन रोपाई विधि शामिल हैं. इसके अलावा, वह जैविक खेती प्रथाओं को प्रोत्साहित करने के लिए बायो इनपुट का इस्तेमाल कर रही है.
Queen of Millets रायमती ने दी 2,500 किसानों को ट्रेनिंग
बाजरा खेती को बढ़ावा देने के लिए रायमती अपने समुदाय के 2,500 किसानों को नवीन तकनीक की ट्रेनिंग दे रही है. ओडिशा की 'Queen of Millets' अपने दैनिक भोजन में बाजरा के महत्व पर जोर देती हैं. बाजरा, जैसे फिंगर मिलेट (मंडिया) का इस्तेमाल चपाती, डोसा, दलिया बनाने के लिए किया जाता है.
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G20 शिखर सम्मेलन के दौरान, रायमती ने बाजरा से तैयार किए गए गए व्यंजनों के बारे में जानकारी साझा की. बाजरा की खेती उनके लिए एक परिवर्तनकारी अनुभव रही है. वह महिला किसानों और किसान-उत्पादक कंपनियों से जुड़े स्वयं सहायता समूह (SHG women conserving millets) का नेतृत्व कर रही है. SHG महिलाएं मिलेट से पकोड़े और लड्डू बनती हैं, जो कुंद्रा ब्लॉक में स्थानीय बाजारों और टिफिन केंद्रों पर बेचे जाते हैं.
International Year of Millets को बना रहीं सफ़ल
रायमती ने अपने गांव में पारिवारिक भूमि पर फार्म स्कूल भी शुरू किया है. इस स्कूल के ज़रिये वह सक्रिय रूप से किसानों को बाजरा खेती के वैज्ञानिक तरीकों में प्रशिक्षित करती है, जिससे उन्हें बेहतर आय अर्जित करने में मदद मिलती है.
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Queen of Millets रायमती घुरिया और brand ambassador of millets लहरी बाई, मिलेट संरक्षण में अपने ज़मीनी स्तर के प्रयासों से देशभर में पहचानी जा रही हैं. ये महिलाएं न सिर्फ International Year of Millets की सफ़लता में योगदान दे रही हैं, बल्कि यह भी साबित कर रही हैं कि महिलाओं के ज्ञान और अनुभव से कृषि क्षेत्र में क्रान्ति लाइ जा सकती है. इन चेंजमेकर्स की कहानियां देशभर की महिला किसानों को प्रेरित कर रही हैं.