Dewas जिले के कनेरिया गांव में रहने वाली पवित्रा नागर कई सालों से खेती मजदूरी करती थी.पति दूसरों के वाहन पर ड्राइवर थे. self help group में जुड़ने के बाद पवित्रा ने मेहनत की और महज चार साल में अलग-अलग रोजगार खड़े कर लिए.
Nursery और flour mill से बनीं आत्मनिर्भर
देवास जिले के कनेरिया गांव में पवित्रा ने शुरुआत सिलाई मशीन से की.ट्रेनिंग के साथ skill बढ़ाई.
Radha krishna SHG की अध्यक्ष Pavitra Nagar बताती है-"मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी.समूह में जुड़ने के बाद सिलाई मशीन पर काम मिलने लगा.Revolving Fund की मदद से मैंने nursery बनाई. moringa सहित दूसरे पौधे तैयार किए.साथ ही आटा चक्की भी लगाई.मैं 'आजीविका आटा और दलिया' का भी बिज़नेस कर रही."
आजीविका आटा के पैक बनाती हुई पवित्रा (Image:Ravivar Vichar)
पवित्रा की मेहनत से कमाई बढ़ी और पति हुंकार सिंह नागर भी उनके साथ जुड़ गए.पवित्रा ने नर्सरी से पिछले साल ही 70 हज़ार रुपए के पौधे बेच मुनाफा कमाया.
देवास के साथ दूसरे जिले में भी बना दिए समूह
पवित्रा की मेहनत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है,उन्होंने देवास के अलावा उन्हें आजीविका मिशन ने उज्जैन जिले में भेजा.यहां जाकर पवित्रा ने स्वयं सहायता समूह गठित कर महिलाओं को जोड़ा.
पवित्रा आगे बताती है-"जब मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी होने लगी.मुझे पहले village organization में अध्यक्ष बनाया.फिर मां बिजासन महिला संकुल संगठन में कोषाध्यक्ष बनाया.मुझे मिशन ने CRP बनाया. अभी तक मैंने 800 से ज्यादा महिलाओं को समूह से जोड़ कर रोजगार से जोड़ा."
समूह सदस्यों की बैठक लेते हुए पवित्रा (Image:Ravivar Vichar)
पवित्रा अपने गांव के अलावा बैंक में खाते खुलवाने और दूसरे काम में समूह सदस्यों की मदद करती.
Dewas Ajeevika Mission की District Project Manager (DPM) Sheela Shukla कहती है- "कनेरिया गांव में पवित्रा नागर ने समूह और मिशन की योजनाओं का लाभ उठाया.समय पर लोन की किश्तें भी जमा की.पवित्रा अब आत्मनिर्भर हो गई."
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