Chhattisgarh के Jashpur जिले में कुछ सालों पहले लगाए चाय के बागान अब शबाब पर है. self help group की महिलाओं को इन बागानों में काम मिला. बागानों से प्रोसेसिंग तक इस जिले में ही की जा रही. बड़ी संख्या में महिलाओं और उनके परिवार को रोजगार मिला.
20 एकड़ ज़मीन पर तैयार किया चाय का बागान
jashpur के Sarudeeh में Tea Bagan लगाया गया.लगभग 20 एकड़ में लगे इस बागान में कई तरह की चाय तैयार की जा रही. साल 2011-12 में मनोरा तहसील में सर्वेश्वरी समूह अघोरेश्वर गुरुपद बाबा संभव राय ने यह प्रयोग किया. मौसम ने साथ दिया और बागान पनप गया.
जशपुर में चाय के बागान में पत्तियां तोड़ती युवती (Image: Ravivar Vichar)
यहां self help group की सदस्यों ने कमान संभाली. सारूडीह एक समूह सदस्य विमला एक्का बताती है-"यह बागान हमारे लिए वरदान साबित हुआ.हम यहां कई तरह की चाय के पौधे तैयार करते हैं.इसकी डिमांड बढ़ी है.यहीं से चाय की पत्तियां हम प्रोसेसिंग यूनिट में भेजते हैं." यहां का तापमान लगभग 30 डिग्री के आसपास रहता है.
समूह नंबर 2 की सदस्य मधु तिरके कहती है-"दूसरी जगह बागानों में रासायनिक खाद का भी प्रयोग कर लेते हैं.हम यहां vermicompost का उपयोग करते हैं. यह चाय 300 रुपए किलो बिकती है."
बागान के लिए Balachhapar में लगी Processing Unit
बागान में चाय की खेती के लिए balachhapar में processing unit लगाई गई. सारूडीह और दूसरा बागान से बालाछापर प्रोसेसिंग यूनिट में चाय पूरी तरह तैयार होने भेजी जाती है. शासन ने अपने स्तर पर यह यूनिट लगाई.
इस यूनिट में 300 किलो प्रतिदिन चाय तैयार हो जाती. Jashpuria Tea की लगातार डिमांड बढ़ रही.इस यूनिट और चाय प्रोडक्शन के लिए राज्य के वन विभाग ने बड़ी भूमिका निभाई.
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Jashpur District Mission Manager (DMM) Vijay Sharan Prasad बताते हैं-"जशपुर में चाय बागान और SHG से जुड़ी महिलाओं को नई पहचान मिली. Jashpur Brand Jashpure में इसे खासतौर पर जगह मिली. यहां तैयार हो रही Green Tea के साथ Herbal Tea की जबरदस्त डिमांड है.ये चाय 800 से 1200 रुपए किलो तक बिक जाती है. महिलाओं की कमाई के साथ आत्मनिर्भर हुईं."
पर्यटन के लिए बनी जशपुर पहली पसंद
चाय के बागान और वह भी जशपुर में, बात सुनकर कोई भरोसा नहीं करता. यहां के जंगल और पहाड़ियों के बीच सारूडीह में 20 एकड़ में सुंदर चाय के बागान पर्यटन की जगह बन गए.छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा और पड़ोसी राज्यों से भी पर्यटक यहां आते हैं. शासन के Forest Department और Ajeevika Mission Bihan से जुड़े अधिकारी इसे बढ़ावा देने में जुटे हैं. (कलेक्टर) DM Dr .Ravi Mittal और जिला पंचायत ZP CEO Abhishek Kumar भी यहां काम कर रही महिलाओं को प्रमोट कर रहे.