UP के Amethi district में self help group की महिलाओं ने रंगों को बना कर रोजगार के लिए नया रास्ता बना लिया. अमेठी ब्लॉक के भावपुर में यह रंग बनाए जा रहे. एक खास विधि से यह महिलाएं गुलाल बना रहीं.इसमें कुछ फूल और पत्तियां भी उपयोग की जा रही. Holi Festival से पहले ही उत्तर प्रदेश में कलर्स की धूम नजर आने लगी.
दिल्ली सहित कई राज्यों में बढ़ी गुलाल की मांग
Amethi SHG की महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे रंगों की जबरदस्त मांग है. दिल्ली सहित उत्तराखंड, मथुरा,मुरादाबाद सहित कानपुर और लखनऊ में भी इसी गुलाल की मांग आई. Pichkariyon के साथ इन colors की डिमांड बढ़ गई.
Amethi Block के Bhavpur village में स्वामी महिला स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष रामरती बताती है-"हम गाय के गोबर की राख से यह गुलाल बना रहे. सबसे पहले इस राख को छान कर पॉवडर बना लेते. इस तैयार पॉवडर में अरारोट (Arrowroot) को मिलाते हैं. इसकी मात्रा 60 प्रतिशत से ज्यादा मिलाते हैं. लाल रंग के लिए चुकंदर और हरे रंग के लिए पालक मिलाते हैं. इन दोनों को साथ मिलाने से नीला रंग तैयार हो जाता है.इस पॉवडर को सुखाया जाता है. इसे सूखा कर गुलाल तैयार कर लेते हैं."
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गोबर जलाकर तैयार की राख और अरारोट को पीसते हुए (Image: Ravivar Vichar)
इसी समूह की सचिव संजू देवी, पार्वती और लक्ष्मी आदि बताती हैं-"हम इस तैयार गुलाल को 80 से 100 रुपए किलो तक बेचते हैं. हमारी कमाई के साथ हम हर्बल गुलाल Herbal Gulal ही बेचते हैं. हमारी आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार हुआ."
लोन की मिली मदद और बेच दिया डेढ़ टन गुलाल
शुद्ध और शरीर के लिए नुकसान न देने वाले गुलाल की मांग लगातार बढ़ी. Amethi BMM Pradeep Singh कहते हैं -"हमारे ब्लॉक में स्वामी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने खुशबूदार गुलाल बनाया.पिछले साल ही डेढ़ टन गुलाल बिका.इस बार और अधिक गुलाल बिकने की उम्मीद है.हमें CCL लोन एक लाख रुपए दिलवाया. इसी से समूह ने संसाधन जुटाए."
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खूशबूरदार तैयार गुलाल (Image: Ravivar Vichar)
ADO (ISB) Ramtej Varma और District Mission Manager (DMM) Vijendra Pal Singh कहते हैं-"हमारा प्रयास है कारोबार में महिलाएं आत्मनिर्भर हों. ज्यादा से ज्यादा आर्थिक मजबूती मिले ."