महापर्व छठ पूजा के लिए SHG सजा रहीं सूप

बिहार के खास महापर्व छठ पूजा के पहले SHG की महिलाएं सूप को ख़ास तरीके से सजा रहीं. महिलाओं के जहां कमाई बढ़ी वहीं कला से गांव-गांव नई पहचान बन रही. पूरे राज्य में यह समूह इस तैयारी में जोर-शोर से जुटे हुए हैं.      

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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मंजूषा आर्ट जो लोक परंपरा और बहुत प्रचलित है सुप पर बनाई गई मंजूषा आर्ट (Image: Ravivar Vichar )

बिहार (Bihar) में महापर्व की तैयारियों के बीच सेल्फ हेल्प ग्रुप (Self Help Group) की महिलाओं ने अपने काम के अलावा छठ पूजा (Chhath Pooja) के लिए उपयोग में लाए जाने वाले खजूर की पत्तियों (खोड़े) से बने सूप पर ख़ास मंजूषा आर्ट (Manusha Art) बना कर उसे आकर्षित बना रहीं. इनकी डिमांड लगातार बढ़ रही.     

अलग-अलग कलर्स से बना रही मंजूषा आर्ट  

बिहार (Bihar) के भागलपुर (Bhagalpur) जिले के कई जीविका (Jeevika) स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं ने ख़ास ऑर्डर लिए. भागलपुर  (Bhagalpur) जिले के ही नवगछिया की तेतरी पंचायत की सुप्रिया  जीविका स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की रुक्मणि देवी ने बताया- "मंजूषा आर्ट से तैयार सूपों की डिमांड है. मैं कई रंग का उपयोग कर आकर्षक पेंटिंग बना रही. इससे सूप अच्छे लगते हैं. इसके भाव भी अच्छे मिल जाते हैं."

यह SHG एकता जीविका महिला ग्राम संगठन (Village Organization) और श्रृष्टि जीविका महिला संकुल स्तरीय संघ से जुड़ा है. इसमें कई महिलाएं अलग से कारोबार कर रहीं. इसी मंजूषा आर्ट (Manjusha Art) से दूसरे आइटम्स भी तैयार कर रहीं हैं.

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 मंजूषा आर्ट जो लोक परंपरा और बहुत प्रचलित है (Image Credits: Social Media)

समूह की आजीविका बनी मंजूषा आर्ट 

बिहार (Bhihar) में छठी मैया (Chhati Maiya) का महत्व सबसे ज्यादा माना गया. देशभर में रहने वाले बिहार प्रांत निवासी छठ पूजा पर अपने पैतृक गांव पहुंचने का प्रयास करते हैं. समूह (SHG) की रुक्मणि देवी ने बताया- "आर्ट से सजे हुए सूप कम से कम 250 रुपए प्रति नाग बिक जाते हैं.अभी तक मुझे 100 नग का ऑर्डर मिला."

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भागलपुर बिहार में तैयार सूप जिस पर मंजूषा आर्ट बनाई  (Image Credit: Hindustan)            

भागलपुर (Bhagalpur) जिले के जीविका (Jeevika) के डीपीएम (DPM) सुनिर्मल गरेन (Sunirmal Garen) ने बताया - "यह आर्ट पारंपरिक मानी जाती है. अब समूह से जुड़ी महिलाओं ने इस सूप पर उकेर कर बया रूप दे दिया, जिससे ऐसे सूप की डिमांड बढ़ गई.इसकी पूरे राज्य में ख़ास डिमांड रहती है. स्वयं सहायता समूह जीविका से जुड़ी महिलाओं को पिछले पांच साल से ज्यादा आर्डर मिल रहे. जीविका समूह की महिलाओं की कमाई बढ़ी."
इस लोक कला का बेडशीट, चादर सहित कई उपयोगी आइटम्स पर भी उपयोग किया जाता है.

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