स्वयं सहायता समूह भारतीय समाज में महिलाओं के लिए आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाया गया अहम कदम है (role of SHG in women empowerment). इन समूहों से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की महिलाएं आर्थिक आज़ादी की ओर बढ़ रही है, साथ ही अपने जीवन स्तर को बेहतर बना रहीं हैं.
स्वयं सहायता समूह (self help group) केंद्र के साथ राज्य सरकारों की भी प्राथमिकता बनते जा रहे हैं और इनके लिए नयी योजनाओं को लाया जा रहा है. इन समूहों को सरकार का साथ और समर्थन चाहिए ताकि वे अपने उत्कृष्ट कार्यों को और बेहतरीन तरीके से कर सकें. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर बढ़ते इन समूहों को आगे लाने का काम हर स्तर पर सरकारी अधिकारी कर रहे हैं (government promoting SHG). SHG के विकास के लिए केंद्र सरकार से लेकर ग्राम पंचायत तक के सरकारी अधिकारी काम कर रहे हैं.
केंद्र सरकार के अधिकारी
केंद्र सरकार के उच्चतम अधिकारी SHG विकास के लिए कई योजनाएं बनाते है; जैसे क्रेडिट योजनाएं, कौशल विकास की योजनाएं, और महिला सशक्तिकरण की योजनाएं. केंद्र सरकार अधिकारी इन योजनाओं के लिए ज़रूरी आर्थिक संसाधनों का प्रबंधन करने के साथ इन्हें लागू करने पर भी नज़र रखते हैं. साथ ही SHGs के लिए नीतियों का निर्माण और निर्धारण भी यहीं से होता है.
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नीति मूल्यांकन करते हुए उन्हें केंद्र सरकार स्तर के अधिकारी बेहतर बनाते हैं. SHGs के लिए विशेषज्ञ सलाहकार की भूमिका निभाकर, देशभर के समूहों का मार्गदर्शन कर आगे आने वाली समस्याओं के हल ढूंढते हैं. केंद्र सरकारी अधिकारी भारत के SHGs के प्रदर्शन को मॉनिटर करते हुए मूल्यांकन करते हैं. इस तरह शुरू की गयी योजनाओं में ज़रूरी बदलाव लाया जाता है.
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राज्य स्तर के अधिकारी
राज्य सरकार के अधिकारी, स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को गठित करने के लिए सहयोग प्रदान करते हैं. वह समूहों को कार्यक्रमों और प्रोजेक्ट्स के लिए ज़रूरी सामग्री, वित्तीय सहायता, और प्रशासनिक समर्थन प्रदान करते हैं. साथ ही समूह के लिए बनाई गयी योजनाओ को उन तक पहुंचाते हैं.
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इसके अलावा, वह समूहों को सरकारी योजनाओं से जुड़ने में मदद करते हैं. स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को प्रशासनिक प्रक्रियाओं में मदद करने के लिए राज्य सरकारी अधिकारी सहायक होते हैं. वह दस्तावेज़, अनुशासन, कौशल विकास, तकनीकी पहुंच और दूसरी संबंधित प्रक्रियाओं की जानकारी लेकर उनका मूल्यांकन भी करते हैं. स्वयं सहायता समूहों को ऋण और सब्सिडी देना भी राजकीय अधिकारीयों का काम होता है.
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जिला स्तर के अधिकारी
जिला स्तर के अधिकारी महिलाओं को जागरूक कर स्वयं सहायता समूहों के बनने और उनके प्रचार को बढ़ावा देते हैं. समूहों को पंचायती राज संस्थानों और सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए ज़रूरी प्रशासनिक सहयोग भी यहीं से मिलता है.
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यह अधिकारी समूहों को सरकारी सहायता के लिए गाइडेंस प्रदान करते हैं. SHG के कामों की निगरानी करने से लेकर उन्हें संचालन नियमों का पालन करवाते है. जिला स्तर के अधिकारी SHG के लिए उपयोगी अवसरों की पहचान कर उन्हें सूचित करते हैं. समूहों के सदस्यों को औद्योगिक कौशल विकसित करने में मदद करते हैं, ताकि वे आमदनी बढ़ा सकें.
ब्लॉक स्तर पर
ब्लॉक स्तर के अधिकारी जैसे ब्लॉक विकास अधिकारी (Block Development Officer - BDO) स्वयं सहायता समूहों को अलग-अलग सरकारी योजनाओं की जानकारी देकर उनका सहयोग करते हैं. समूहों को ऋण और सब्सिडी लेने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ और प्रक्रियाओं को आसान बनाते हैं. समूहों को वित्तीय संचय और निवेश के लिए सलाह देते हैं.
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ब्लॉक स्तर के अधिकारी समूह सदस्यों के कौशल विकास में मदद करते हैं और विभिन्न प्रशासनिक कार्यों और लेखा-किताब देखते हैं. स्वयं सहायता समूहों की प्रशासनिक समस्याओं का समाधान करने करने के साथ समूहों की समस्याओं को समझते हुए उनका हल निकालने का काम भी यही करते हैं.
ग्राम पंचायत स्तर के अधिकारी
ग्राम पंचायत स्तर के अधिकारी, स्वयं सहायता समूहों को उनके संचालन और प्रबंधन कार्यों में सहायता देते हैं और इन समूहों को पंचायत की सेवाओं का लाभ हासिल करने में मदद करते हैं. समूहों को वित्तीय सहायता, सरकारी योजनाओं और लोन लेने की मदद में पहली कड़ी होते हैं. वह SHG सदस्यों को उद्यमिता, व्यावासिक और वित्तीय प्रशिक्षण देते हैं.
ग्राम पंचायत स्तर के अधिकारी समूहों को सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करते हैं ताकि वे उनका लाभ ले सकें. इनका समूहों के सदस्यों के साथ सीधा संवाद होता है और साथ ही आपसी समन्वय भी. यह समन्वय स्वयं सहायता समूहों की ज़रूरतों और मांगों को समझने में मदद करता है.
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अलग-अलग स्तर के सरकारी अधिकारी स्वयं सहायता समूहों के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं और इन समूहों को वित्तीय, प्रबंधनिक, और तकनीकी सहायता प्रदान करके उनके सदस्यों को स्वावलंबी बनने में मदद कर रहे हैं. इस प्रकार, सरकार समृद्धि और सामाजिक समानता की दिशा में कदम बढ़ाकर वंचित समुदायों, ख़ासकर महिलाओं को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने और सशक्त बनने में मदद कर रही है.