एकजुट होते ही महिलाएं करने लगीं लाखों का कारोबार

जो महिलाएं अलग-थलग मजदूरी करने के लिए विवश थीं.वे ही महिलाएं एकजुट हुईं और लाखों का कारोबार करने लगी.परिवार के साथ खुद की आर्थिक हालात भी सुधर गए. बड़ी संख्या में महिलाएं अपना समूह बनाने में जुटीं हुई हैं.

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Producer Group से जुड़ीं समूह की महिलाएं खरीदी करती हुईं (Image: Ravivar Vichar)

MP के Morena जिले में self help group की कई सदस्यों ने आजीविका मिशन की योजनाओं से जुड़कर अपने आर्थिक हालात सुधार लिए.जिले लगभग सभी विकासखंड में ये महिलाएं उत्पादक समूह के तहत कारोबार कर रहीं.इस काम में महिलाओं को लाखों का मुनाफा होने लगा.

27 उत्पादक समूह के साथ जुड़ीं SHG की महिलाएं 

Ajeevika Mission की NRETP योजना के तहत मुरैना जिले में बनाए गए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को उत्पादक समूह से जोड़ा गया.

मुरैना जिले के सबलगढ़ के रामपुर कला गांव के जानकी उत्पादक समूह से जुड़ी अध्यक्ष बबिता जाटव और और सचिव अर्चना शर्मा ने बताया-"यह समूह हमारे व्यापार के लिए फायदे का सौदा रहा.हम समूह की महिलाएं कम भाव होने पर उपज खरीद लेते हैं.और भाव बढ़ने पर उसे बेचते हैं.मुनाफा समूह में बांटते हैं.हमें ट्रेनिंग दी गई, उसी तरह हम काम कर रहे."

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अपनी खरीदी केंद्र पर खड़ीं समूह सदस्य (Image: Ravivar Vichar)

जिले में इस योजना में कई स्वयं सहायता समूह की सदस्य जुड़ीं,जो उपज खरीदने-बेचने का काम कर रहीं.

इसी तरह सबलगढ़ ब्लॉक के ही गांव बेराई गिर्द के उन्नति समूह की अध्यक्ष रमेश रावत,गांव ट्रेट्रा की अध्यक्ष ओमवती जाटव सहित बीरमपुर की संयोगिता उत्पादक समूह की नीलम जादौन भी फसलों की खरीदी-बिक्री कर कामकाज कर रहीं.  

50 लाख की मदद से समूह बन रहे आत्मनिर्भर 

Morena जिले में कई SHG को एक साथ मिला कर Producer Group बनवाए गए. एक Producer Group में कम से कम 4 से 5 स्वयं सहायता समूह की सदस्यों को जोड़ा गया.यह प्रक्रिया राष्ट्रीय ग्रामीण आर्थिक प्रवर्तन योजना के अंतर्गत की.

 

Ajeevika Mission के District Project Manager (DPM) Dinesh Tomar बताते हैं-"जिले में 27 Producer Groups बना कर SHG की महिलाओं को जोड़ा.उन्हें CCL के माध्यम से अलग अलग समय लगभग 50 लाख रुपए का लोन दिया.

पूरे जिले में इन महिलाओं ने एक साल में ही डेढ़ करोड़ का टर्नओवर किया. सीज़नल उपज लेकर भाव बढ़ने पर बेचा.समूह सदस्यों को 10 लाख रुपए का मुनाफा हुआ."

मुरैना में सरसों की खेती,शहद उत्पादन और दूसरी फसलों को लेकर पहचान बनी हुई है. उत्पादक समूह की महिलाओं में कई महिलाएं अब Lakhpati Didi की श्रेणी में आ गई.    

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