MP के Bhopal जिले बैरसिया ब्लॉक अंतर्गत छोटे से गांव मजीदगढ़ की रहने वाली रीना अहिरवार केवल 8 वीं पास थी.मजूदरी के अलावा कोई दूसरा रास्ता न था.पति भी मजदूरी कर परिवार चला रहा था.Self Help Group से जुड़ने के बाद ज़िंदगी बदल गई.
SHG की महिला बनी लघु उद्योग की मालकिन
बैरसिया ब्लॉक की रीना अहिरवार दुर्गा आजीविका महिला समूह से जुड़ी.बचत योजना को समझा और फिर मदद के सहारे आगे बढ़ गई.
रीना अहिरवार बताती है-"मिशन के अधिकारी ने मुझे SHG से जोड़ा.RF लोन 12 हज़ार मिला. CIF से 80 हज़ार का लोन मिल गया.एलईडी बल्ब बनाने की ट्रेनिंग ली.एक लाख का दूसरे लोन मिला तो मेरी स्थिति और अच्छी हो गई.मैं बल्ब बनाना सीख गई.सभी जगह सप्लाई कर रही.लगभग 11 हज़ार रुपए महीने कमा लेती हूं."
रीना अपनी यूनिट में बल्ब निर्माण करते हुए (Image: Ravivar Vichar)
रीना ने लघु उद्योग में नाम कमाया और मालकिन बन गई.परिवार में पति भी मदद करने लगे.
CRP बनकर दूसरी महिलाओं को दिखा रही रास्ता
रीना अहिरवार ने बल्ब बनाने के साथ बेचने में मेहनत की.लगातार तीन साल में आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई.
Bhopal Ajeevika Mission की DPM Rekha Pandey ने बताया-"मजीदगढ़ जैसे छोटे से गांव में बल्ब बनाना शुरू किया और आत्मविश्वास से उसे बेचा.हमने उसे CRP बनने की ट्रेनिंग दी.रीना ने कई दूसरी महिलाओं को समूह से जोड़ा और रोजगार की रास्ता दिखा रही."
जिले में रीना अहिरवार रोल मॉडल बन गई.मजदूरी करते परिवार ने अपनी मेहनत से नया बिज़नेस शुरू किया और सफलता मिली.