रागी की खेती से SHG में खुशियों की रंगत

छत्तीसगढ़ में रागी जैसे मोटे अनाज ने लोगों की डिश में जगह बना ली. रायपुर जिले के ही कई ब्लॉक में रागी की खेती बड़े स्तर की जाने लगी. हज़ारो का मुनाफा कमा कर तिल्दा के ओटगन में समूह चर्चा में है. अब दूसरे समूह भी रागी की खेती का मन बना रहे. 

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मिलेट्स में रागी और दूसरे अनाज का प्रोडक्शन बढ़ा (Images: Ravivar Vichar)

यूनाइटेड नेशन (UN) के 2023 YEAR OF थे MILLETS (Millets) घोषित किए जाने के बाद से ही मोटे अनाज (Millets) की खेती को और अधिक प्रचार और जगह मिली. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में भी मोटे अनाज रागी (Ragi), कोदो (Kodo), कुटकी (Kutaki) जैसे अनाज की खेती में इजाफा हुआ. 

रागी से समूह को 60 हजार का मुनाफा 

आजीविका मिशन बिहान  (Ajeevika Mission Bihan) के अधिकारियों के अनुसार रायपुर (Raipur) जिले के तिल्दा के ओटगन में महिला  स्वयं सहायता समूह ने खुद के गोठान (Gauthan) की बाड़ी में रागी  (Ragi) को लगाया. समूह ने रागी (Ragi) के लड्डू बना कर मार्केट में बेचे. समूह की महिलाओं का कहना है- "केवल चार महीने के ऑर्डर पर हमने 60 हजार रुपए का फ़ायदा कमाया. जो अब तक कभी नहीं हुआ. हम लोग पहले मजदूरी ही करते थे."   

गोठान (Gauthan) के रागी (Ragi) के लड्डुओं की स्थानीय बाज़ार में ख़ासी मांग है. महिला समूह (SHG) अपने इस स्पेशल प्रोडक्ट को साठ रुपए प्रति पैकेट के दाम पर स्थानीय बाज़ार में बेच रही है. ख़ास बात ये है कि कामधेनु  स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की सदस्य लड्डू बनाने के लिए रागी (Ragi) बाज़ार से नहीं ख़रीदती. लड्डू बनाने के लिए रागी का उत्पादन गोठान से लगी बाड़ी में खेती कर हो रही है.

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मिलेट्स को और बेहतर ढंग से महिलाएं बना रहीं (Images: Ravivar Vichar) 

ग्राम पंचायत की सचिव शकुंतला नारंग ने बता -"गोठान के रागी के बने लड्डुओं की लोकल मार्केट में  बहुत मांग है. महिला समूह लड्डू को साठ रुपए प्रति पैकेट के हिसाब से बेच रही है."

ख़ास बात ये है कि कामधेनु स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की सदस्य लड्डू बनाने के लिए रागी (Ragi) बाज़ार से नहीं ख़रीदती. लड्डू बनाने के लिए रागी का उत्पादन गोठान (Gauthan) से लगी बाड़ी में खेती कर हो रही है. बाड़ी में एक एकड़ रकबे में महिला समूह की सदस्य रागी (Ragi) की खेती कर रही हैं.  

गोबर खरीदी और वर्मी कम्पोस्ड की 4 लाख की बिक्री 

छत्तीसगढ़  (Chhattisgarh) में गोठान निर्माण के बाद से ही लगातार गोबर ख़रीदी हो रही है. स्वयं सहायता समूह  (Self Help Group) के पशु पलकों से भी यह गोबर ख़रीदा जा रहा. समूह की महिलाओं ने चार लाख रुपए से अधिक की वर्मी कम्पोस्ट (Vermicomosed) बेची. गोठान परिसर (Gauthan) में ही सब्ज़ी उत्पादन से भी लगभग दो लाख रुपए की कमाई महिलाओं को हुई. 
समूह की ये महिलाएं गोबर के दीये बनाने के अलावा पापड़, साबुन, पंचगव्य से कीटनाशक ब्रह्मास्त्र तक बना रही हैं. 
मुर्गी पालन और बकरी पालन से भी इन महिलाओं को अच्छा लाभ हो रहा है. 

मछली का भी बढ़ा कारोबार 

गोठान (Gauthan) में मछली पालन भी बढ़ा. समूह की महिलाओं के अनुसार पिछले सीजन में डेढ़ लाख रुपए की मछली बेच कर कारोबार किया. धीरे-धीरे ये रीपा योजना की तरह समूह के लिए लाभ का धंधा बन रहा. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में मिलेट्स (Millets) को की खेती (Farming) का रकबा लगतार बढ़ रहा.    

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