तारे सी चमक रही तारागांव की मिल मालिक

छत्तीसगढ़ के पिछड़े इलाके तारागांव की एक महिला अपनी मेहनत के दम पर तारे की तरह चमक रही. खेती मजदूरी करने वाली यह महिला अब मिनी राइस मिल की मालकिन है. एसएचजी से जुड़कर महिला ने अपने परिवार के हालात सुधार लिए.

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mini rice mill

बस्तर के तारागांव में अपनी मिनी राइस मिल के साथ सोमारी मौर्य (Image Credits : Ravivar Vichar)

मिनी राइस मिल ने बनाया धनवान 

बस्तर (Bastar) जिले के तारागांव की सोमारी मौर्य चार साल पहले तक पति के साथ खेत मजदूरी में जाती. सोमारी बताती है- "गांव में परिवार चलाने में परेशानी थी. ख़ास कमाई नहीं थी. बिहान के लोग आए. समूह से जुड़ गई. मुझे 50 हजार रुपए का लोन भी दिलवाया. इससे मिनी राइस मिल शुरू की. धान कुटाई के लिए आसपास गांव के लोग आने लगे. दूसरी योजना में मुझे 30 हजार का लोन मिला. मैंने आटा पिसाई चक्की डाल ली. मेरी कमाई 10 हजार रुपए महीने तक हो जाती है." 

इस मिनी राइस मिल प्रोजेक्ट (Mini Rice Mill Project) ने सोमारी को धनवान बना दिया. 

बड़ी राइस मिल का डलेगा प्रोजेक्ट  

आजीविका मिशन (Ajeevika Mision) के बस्तर ब्लॉक (Bastar Block) के सहायक नरपति ठाकुर बताते हैं- "यह बड़ी उपलब्धि है. इस गांव में महिलाओं के बीच काउंसलिंग का बहुत असर रहा. सोमारी को शिक्षित नारी संगठन से जोड़ कर ग्रामीण राज्य  आजीविका मिशन बिहान की योजनाओं का लाभ दिलाया. मिनी राइस मिल और आटा पिसाई मशीन से अच्छी कमाई शुरू हुई. अधिक जगह मिल जाने पर एक बड़ी यूनिट भी लगवाने में हम मदद करेंगे." बस्तर (Bastar) जिले के जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) राजकुमार देवांगन का कहना है- "जिले में मिनी राइस मिल प्रोजेक्ट बहुत सफल हुआ. महिलाऐं आत्मनिर्भर बन रहीं. बिहान की योजनाओं से जिले में लगभग 60 से ज्यादा मिनी राइस मिल से मिलिंग की जा रही."  जिले में  स्वयं सहायता समूह (Self Help Group)की महिलाओं को लगातार ट्रेनिंग देकर अलग-अलग रोजगार से जोड़ा जा रहा.  

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