कई तरह की सामजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के बाद भी, ग्रामीण महिलाएं अपने मज़बूत इरादों से बदलाव की लहर ला रही हैं. रविवार विचार कोशिश करता है ऐसी पॉवरफुल महिलाओं की कहानियों को आप तक पहुंचाने की, जो पितृसत्ता के अंधेरों से निकल, शिक्षा, न्याय, और समानता की रोशनी फैला रही हैं (successful rural women changemakers).
![Padma shri Kalpana Saroj](https://img-cdn.thepublive.com/filters:format(webp)/ravivar-vichar/media/media_files/Uyhe2O1crtkMCp87hMZ9.png)
Image Credits: Kalpana Saroj/Facebook
7वीं कक्षा में ही हुई शादी
कल्पना सरोज के मज़बूत इरादों ने सिखाया कि मेहनत के ज़रिये कैसे 2 रूपए प्रति दिन कमाने वाली ग्रामीण महिला 7 कंपनियों की मालकिन बन सकती है (Kalpana Saroj success story in Hindi).
"मैं सिर्फ सौ घरों वाले एक छोटे से गांव से हूं. मेरे पिता एक पुलिस कांस्टेबल थे और वह मुझे पढ़ाना चाहते थे लेकिन समाज को यह बात हज़म कहां. कुछ को तो आश्चर्य हुआ कि लड़कियों के लिए शिक्षा का क्या ही मतलब हो सकता है. मेरे पिता चाहते थे कि मैं अपनी 10वीं पूरी कर लूं, लेकिन परिवार और समाज के दबाव में मेरी 7वीं कक्षा में ही शादी कर दी गई." डॉ. कल्पना ने बताया.
![Padma shri Kalpana Saroj](https://img-cdn.thepublive.com/filters:format(webp)/ravivar-vichar/media/media_files/oXLwNGKKowEWlMdPV74m.jpg)
Image Credits: Kalpana Saroj/Facebook
लड़ी समाज के तानों से
कल्पना के ससुराल वालों ने अपनी 12 वर्षीय बहू के साथ इतना बुरा व्यवहार किया कि जब उनके पिता छह महीने बाद उनसे मिलने गए, तो उन्हें पहचान नहीं सके. अपनी बेटी को वापस घर लाकर उसे दोबारा स्कूल में दाखिला दिलाया. शादीशुदा लड़की को अपने माता-पिता के घर देख समाज ने कई सवाल उठाए. परिवार के लोगों ने कहां, "लड़कियों को तो ऐसी चीजें सहनी पड़ती हैं."
स्कूल में भी पढ़ना आसान नहीं था. भावनाओं पर हुए वार और तानों से परेशान होकर मर जाना ही बेहतर समझा. ज़हर पीकर आत्महत्या की कोशिश की. होश आया तो एहसास हुआ कि, "अगर मैं खुद को मारने में सफल हो जाती तो मेरे माता-पिता पर क्या बीतती."
![Padma shri Kalpana Saroj](https://img-cdn.thepublive.com/filters:format(webp)/ravivar-vichar/media/media_files/zDyR74Fz5o9Ic3jUnMZa.jpg)
Image Credits: Kalpana Saroj/Facebook
मुंबई में किया नया सफ़र शुरू
लोगों की परवाह किये बिना, अपने आप को एक मौका देने का सोचा और कल्पना ने नए सिरे से ज़िन्दगी शुरू की. अपने पैरों पर खड़े होने का सोचा. सिलाई सीखी, पर कुछ ख़ास फायदा नहीं हुआ. सफलता हासिल करने के लिए मुंबई जाने का फैसला लिया. घरवालों से काफी ज़िद के बाद कल्पना दादर के स्लम में रह रहे अपने अंकल के घर चली गई.
![Padma shri Kalpana Saroj](https://img-cdn.thepublive.com/filters:format(webp)/ravivar-vichar/media/media_files/WNFvBwZQ6YOYDcjnIOWj.jpg)
Image Credits: Kalpana Saroj/Facebook
वहां एक परिवार ने कप्लना को होजरी कंपनी में काम दिया, जहां वह प्रतिदिन 2 रुपये कमाने लगी. शुरू में माहौल काफी अलग लगा, लेकिन फिर काम की आदत हो गई. एक महीने के बाद, कारीगर के रूप में काम किया और 225 रुपये तक कमाने लगी. वह पहली बार था जब कल्पना ने 100 रुपये का नोट देखा था.
![Padma shri Kalpana Saroj](https://img-cdn.thepublive.com/filters:format(webp)/ravivar-vichar/media/media_files/jhuAXAEaywYvmjd5F30H.jpg)
Image Credits: Kalpana Saroj/Facebook
2013 में हुई पद्मश्री से सम्मानित
कल्पना धीरे-धीरे सफलता की सीढ़ियां चढ़ रही थी, पर अभी उन्हें और मेहनत करनी थी. मुंबई में रहकर कल्पना ने बेहतर अवसर तलाशें. आगे चलकर वह कमानी ट्यूब्स की अध्यक्ष बनी. यह सफलता सिर्फ एक रात में नहीं मिली, इनके लिए कल्पना सरोज को दिन-रात मेहनत करनी पड़ी (powerful rural women).
![Padma shri Kalpana Saroj](https://img-cdn.thepublive.com/filters:format(webp)/ravivar-vichar/media/media_files/QoSJs98ZJPV5ERsq7EML.jpg)
Image Credits: Kalpana Saroj/Facebook
आज कल्पना सरोज सात अलग-अलग बिजनेस कंपनियों की मालकिन हैं. वह एक भारतीय उद्यमी और टेडएक्स वक्ता हैं. उनके अथक प्रयासों की वजह से उन्हें 2013 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया (successful women entrepreneur).
![Padma shri Kalpana Saroj](https://img-cdn.thepublive.com/filters:format(webp)/ravivar-vichar/media/media_files/Px0FvKQHEMiBjM1LTy55.jpg)
Image Credits: Kalpana Saroj/Facebook
कल्पना सरोज ने बिजनेस के साथ सामाजिक कार्यों पर भी ध्यान दिया. उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने, शिक्षा को बढ़ावा देने, जाति आधारित भेदभावों जैसी चुनौतियों से लड़ने के लिए कई ज़रूरी कदम उठाये.