कुछ सालों में (एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशियेंसी सिंड्रोम) AIDS /HIV जैसी जानलेवा बीमारी को लेकर उम्मीदें बढ़ीं हैं. भारत के अस्पतालों (Hospital) और काउंसलिंग सेंटर्स (Counselling Centers) की वजह से पीड़ित लोगों के जीने के तरीके में बदलाव दिखने लगा. ऐसी कई कहानियां सामने आईं जिसमें पीड़ित लोग एक दूसरे का सहारा बने. जिस बीमारी का नाम सुन ज़मीन खिसक जाए, उस बीमारी से कुछ लोग अपने ही अंदाज़ में लड़ रहे
ज़िंदगी को खुशनुमा बनाने में जुटे लोग
लगभग तीन साल पहले शारीरिक तकलीफ और बदलाव के बाद एक दंपति हॉस्पिटल पहुंचे. पता चला कि 32 साल के पति HIV पीड़ित है. पति सहित पत्नी कुछ देर के लिए परेशान हो गए. लगा ज़िंदगी अब नहीं बची. पत्नी ने पहले खुद को संभाला. पति रूटीन में मेडिसिन लेने लगे. घर आकर सोच और काम करने का तरीका बदल लिया. काउंसलर (Counsellor) शालिनी जैन (Shalini Jain) ने बताया- "यह बहुत सकारत्मक घटना है. पत्नी ने अपने पति की सोच और जीने का अंदाज़ बदल दिया. पत्नी उस दिन से हर रोज़ एक गुलाब बाजार से अपने पति को लेकर देती है."
पत्नी का कहना है- "यह बीमारी या कोई भी बीमारी का अचानक हो जाना अपने हाथ में नहीं. लेकिन उसकी केयर की जा सकती है. मुझे ख़ुशी है कि मेरे पति वापस अपने काम में जुट गए. मेरा एक गुलाब उनकी बीमारी को रोज़ हरा देता है. मैंने अपना दायित्व निभाया."
काउंसलिंग से पटरी पर लौटी ज़िंदगी
यह कहानी मध्यप्रदेश (MP) की है. इंदौर (Indore) जिले की इस हाई प्रोफ़ाइल फैमिली को भी काउंसलिंग (Counselling) की गई. इस काउंसलिंग से निराश ज़िंदगी पटरी पर लौट आई. इंदौर के MTH Hospital की काउंसलर (Counsellor) शालिनी जैन (Shalini Jain) बताती हैं- "इस दंपति को लेकर बड़ी चुनौती थी. हाई प्रोफ़ाइल लाइफ स्टाइल फैमिली को कुछ परेशानी हुई. जांच में पता चला पत्नी को HIV है. पति का व्यवहार और पत्नी को शक की नज़रों से देखने लगा. लगातार काउंसलिंग से बीमारी के प्रति भ्रम हटा दिया. इस वक़्त दोनों अपनी लाइफ को पुराने अंजाज़ में जी रहे."
इंदौर के MTH Hospital में कॉउन्सिलिंग सेंटर पर शालिनी जैन
ऐसे ही और कई लोग हैं, जिनमें डॉक्टर्स, इंजीनियर और बड़े कॉर्पोरेट से जुड़े लोग HIV से पीड़ित हैं. लगभग 16 सालों से Counsellor के रूप में सेवाएं दे रही शालिनी जैन (Shalini Jain) आगे बताती हैं- "लोगों के दिमाग में केवल Other Sexual Contact को ही कारण बना हुआ है. जबकि कई Case में टेटू (Tattoo), निडिल (Needle) का डबल उपयोग जैसे कई कारण और भी हैं, जिनसे यह HIV संक्रमित हो सकते हैं. ऐसे हालातों में डरने की जगह भ्रम दूर करना चाहिए. खास बात सोशल मिडिया सर्च इंजन से आधी-अधूरी जानकारी सीखने-सुनने से बचना चाहिए. यह ज्यादा घातक है."
महिलाएं निभा रहीं बड़ी भूमिका
अधिकांश केस में देखा गया कि महिलाएं परिवार में होने वाली ऐसी बीमारी में ज्यादा बेहतर भूमिका निभा रहीं. इंदौर के नोडल ऑफिसर (Nodal Officer) डॉ.शैलेन्द्र जैन (Dr.Shalini Jain) बताते हैं -"अब लोगों में जागरूकता आ रही है. इंदौर जिले में ही इस समय 38 सौ से ज्यादा पीड़ित रजिस्टर्ड हैं.साल 2023 में ही 600 से ज्यादा केस रजिस्टर्ड हुए. इस तरह की बीमारी में डरने की बजाए भ्रम दूर करना चाहिए.सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए मुफ्त में मेडिसिन मिलती है." पूरे देश में इस समय 2.4 मिलियन HIV से संक्रमित लोग हैं.
यह भी पढ़ें : भारत की पहली HIV/AIDS Researcher और Activist- Dr. Suniti Solomon