लगातार विकसित हो रहा और अपने पैमाने को बढ़ा रहा ई-कॉमर्स (E-Commerce) गेम-चेंजर के रूप में उभरा है. भारत में ई-कॉमर्स की सफलता के केंद्र में महिला उद्यमी हैं. देश भर में लाखों महिला उद्यमियों को ई-कॉमर्स ने सशक्त बनने का प्लेटफार्म दिया (E-Commerce platform aiding female entrepreneurs).
E-Commerce से होंगी 170 मिलियन नौकरियां पैदा
बेन एंड कंपनी की रिपोर्ट ने बताया कि भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन शॉपर बेस है. महिला उद्यमी इस डिजिटल अवसर का लाभ उठाकर आत्मनिर्भरता का रास्ता अपना रही हैं. भारत में 63 मिलियन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) हैं, जिनमें से लगभग 20% महिलाओं के स्वामित्व वाले हैं.
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एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भारत 30 मिलियन से ज़्यादा महिला-स्वामित्व वाले उद्यमों की शुरुआत देख सकता है, जिससे संभावित रूप से 150 से 170 मिलियन नौकरियां पैदा होंगी. पिछले पांच वर्षों में, 83% भारतीय छोटे व्यवसायों ने अपना व्यवसाय ऑनलाइन कर लिया है, जिनमें से 65% अपने राजस्व का आधा हिस्सा ऑनलाइन बिक्री से उत्पन्न करते हैं.
चुनौतियों का सामना कर रहीं Women entrepreneurs
महिला उद्यमियों (women entrepreneurs) की उपलब्धियों के बावजूद, उन्हें अपने व्यवसाय का विस्तार करने और संरचनात्मक, सामाजिक और आर्थिक बाधाओं पर काबू पाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. महिला उद्यमियों के मास्टरकार्ड इंडेक्स (MIWE 2021) के अनुसार, भारत 65 देशों में से 57वें स्थान पर है.
2022 में भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट (BYST) के एक सर्वेक्षण से पता चला कि 85% से ज़्यादा महिला उद्यमियों को ऋण हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है (challenges faced by women entrepreneurs), जिसकी वजह से महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों के लिए 11.4 बिलियन डॉलर से ज़्यादा का क्रेडिट अंतर होता है.
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अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) ने बताया कि भारत में पब्लिक सेक्टर बैंकों द्वारा दिए गए कुल ऋण का सिर्फ 5.2% महिला उद्यमियों को जाता है. इंस्टीट्यूट फॉर व्हाट वर्क्स टू एडवांस जेंडर इक्वेलिटी (IWAAGE) के अनुसार, केवल 3.4% महिला उद्यमियों को भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता योजनाओं से लाभ मिलता है.
ई-कॉमर्स के साथ मिलेगा महिला उद्यमियों और SHG सदस्यों को बढ़ावा
तरह-तरह की चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, ई-कॉमर्स महिला उद्यमियों के लिए एक परिवर्तनकारी शक्ति बन गया है. प्रौद्योगिकी को अपनाने से, ख़ासकर ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिये, महिलाओं को अपने व्यवसाय बढ़ाने के अवसर मिले हैं.
ई-कॉमर्स अपने कार्यक्रमों के ज़रिये महिलाओं के उद्यमों को बढ़ावा देते हैं. कम शुल्क या कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) पहल के तहत, ये प्लेटफ़ॉर्म महिलाओं को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और बेचने के लिए इन्क्लूसिव वातावरण देते हैं.
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ई-कॉमर्स के साथ, महिला उद्यमी भौगोलिक बाधाओं को दूर कर अपनी पूरी क्षमता को अनलॉक कर सकती हैं. उपभोक्ता व्यवहार में काफी बदलाव देखने को मिला हैं, ख़ासकर टियर 2 और टियर 3 शहरों में, जहां अब ऑनलाइन मोड को अपनाकर डिजिटल भुगतान और घर-आधारित रिटर्न की सुविधा को पसंद किया जा रहा.
इस बदलाव से ग्रामीण महिला उद्यमियों (rural women entrepreneurs) और स्वयं सहायता समूहों (self help groups) से जुड़ी महिलाओं को लाभ हो रहा है. इससे नए व्यावसायिक अवसर पैदा होंगे, लचीलापन बढ़ेगा और लैंगिक असमानताएं ख़त्म कर महिलाएं आर्थिक आज़ादी (financial freedom) हासिल कर सकेंगी. इस तरह ई-कॉमर्स महिला सशक्तिकरण (women empowerment) का मार्ग प्रशस्त करता है.
ई कॉमर्स नीति के ज़रिये होगा भारत का आर्थिक विकास
भारत 5 ट्रिलियन डॉलर (India to become 5 trillion dollar economy) की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखता है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए 'महिला नेतृत्व वाले विकास' (women led development) पर ध्यान दे रहा है. इस दिशा में, ई-कॉमर्स महिला उद्यमियों की क्षमता को पहचान कर, उन्हें ऑनलाइन ग्राहक आधार देकर, अर्थव्यवस्था में योगदान देने का अवसर दे रहा है.
ई-कॉमर्स नीति (e-commerce policy) पर चल रही चर्चाओं में कई तरह की चिंताएं देखी गईं. इस नीति को ध्यान से तैयार न किये जाने पर ये MSME विकास में बाधा बन सकती है और महिला उद्यमियों पर बुरा असर डाल सकती है. सरल ई-कॉमर्स माहौल बनाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन विक्रेताओं के बीच समानता और ज़्यादा नियमों से राहत की ज़रुरत है.
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ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों से जुड़े मुश्किल नियम छोटे व्यवसायों को प्रवेश करने से रोक सकते हैं. यह उद्योग में गतिशील उद्यमशीलता की भावना को दबा सकता है, जिससे नए लोगों के लिए बाधाएं पैदा हो सकती हैं.
इन चुनौतियों को दूर करने के लिए महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों के विविध परिदृश्य को समझना ज़रूरी है. उनकी प्रगति के लिए ज़्यादा नियमों और कानूनों के बोझ से बचा जाना चाहिए. नीति निर्माण में ई-कॉमर्स संस्थाओं के योगदान और विविध MSME और स्टार्टअप द्वारा दी जाने वाली सेवाओं को पहचानने की ज़रुरत है.
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भारत के पास बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र में महिला उद्यमियों को इन्क्लूसिव माहौल देकर सामाजिक व आर्थिक विकास हासिल करने का अवसर है. व्यवसाय में महिलाओं की क्षमता का समर्थन कर, भारत खुद को विश्व स्तर पर ऊपर उठा सकता है.