MP के Satna जिले के छोटे से गांव पतौरा की एक महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं. धीरे-धीरे ट्रेनिंग और नए तरीके सीख कर ज़िंदगी को आत्मविश्वास के साथ मजबूत कर लिया.
सब्जियों की क्वालिटी देख खेत तक पहुंच रहे व्यापारी
Satna जिले के उचेहरा ब्लॉक में पतौरा गांव की रहने वाली सुनीता कुशवाह अब दूसरों के लिए मिसाल बन गई.अब यह kisan didi के रूप में पहचाने जाने लगी.
ललिताम्बा SHG की सुनीता कुशवाह बताती हैं-"मेरी आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी.परिवार के साथ खेती करने के बाद भी फसल की लागत भी नहीं निकल पाती.समूह से जुड़ने के बाद खेती के नए तरीके सीखे. कुछ ज़मीन ठेके से भी ली. फसल के साथ सब्जियां खास कर पत्ता और फूल गोभी, प्याज़ और मटर भी लगाई.जैविक खाद का उपयोग भी किया. मुझे ख़ुशी है कि अब क्वालटी अच्छी होने से व्यापारी खेत पर आकर सब्जी थोक में खरीदते हैं." समूह की दूसरी महिलाओं की स्थिति में भी सुधार हुआ.
फसलों की निकाली लागत और होने लगी बचत
Self Help Group से जुड़ीं महिलाओं को लेकर सतना जिले में नवाचार किया जा रहा. सुनीता कुशवाह आगे बताती है-"मुझे ख़ुशी है कि हम 23 से 25 हजार रुपए महीना कमा लेते हैं. पहले हमारी लागत बहुत ज्यादा लग जाती और उत्पादन भी कम होता था.अब हम सब्जियों को बेच कर भी अच्छा कमा रहे. सालाना कमाई हमारी साढ़े 6 से 7 लाख रुपए तक होने लगी.जबकि लागत 3 लाख रुपए ही लगती है.हमारी बचत से परिवार के सभी लोग अब खुश हैं."
मेहनत के बाद समूह की सदस्य सुनीता के खेत लहलाते हुए (Image:Ravivar Vichar)
Ajeevika Mission Satna District Project Manager (DPM) Anjula Jha कहती हैं-"जिले में खेती को लेकर समूह से जुड़ीं महिलाओं को सभी योजना का लाभ दिलवाया जा रहा.CCL से Loan भी करवाए. पतौरा गांव की सुनीता की आर्थिक स्थिति लगातार सुधरी.अब वह दूसरे समूह की महिलाओं को भी प्रेरित कर रही."