MP के कई जिलों में Prime Minister Narendra Modi ने अपने janman yojana अंतर्गत भी इस बात का ज़िक्र किया और बैगा,भारिया और सहरिया जैसी अति पिछड़ी-कमज़ोर Tribal के लिए योजना लागू की. जिले में 5 वन धन विकास केंद्र खुलेंगे.
वनोपज के लिए केंद्र से समूह की महिलाओं में जोश
Balaghat जिले में समूह की महिलाओं की मेहनत और उनके उत्पाद को सही दाम नहीं मिल पाते. ऐसे केंद्रों पर अपने उत्पाद रख सकेगी. वनोपज के लिए खोले जा रहे इन केंद्रों की सूचना से ही समूह की महिलाओं में जोश है. जिले के बैहर,बिरसा और परसवाड़ा ब्लॉक में Forest Produce Collection ही इन जनजातियों के लिए आजीविका का सहारा है.
कोदो मिलेट्स तैयार करती समूह की सदस्य (Image:Ravivar Vichar)
जैतपुरी गांव के वनांचल स्वयं सहायता समूह की रामवती मेरावी कहती है-"मैं कोदो मिलेट्स उत्पाद से जुड़ी हूं, मुझे ख़ुशी है कि हमारे लिए वन धन केंद्र खुल रहे. हमें अब पूरे दाम मिलेंगे."
नवही गांव की गोंडवाना आजीविका समूह की शमलो मरकाम बताती है- "मैं बांस के उत्पाद टोकरी और दूसरी चीज़ें बनती हूं. वन धन केंद्र पर हमारे बनाए सामान भी बिकने के लिए रखेंगे.अब हमें अपने आइटम के अच्छे भाव मिलेंगे.हमको फायदा होगा."
275 बैगा परिवारों को मिलेगा कारोबार में लाभ
जिले में 275 Baiga परिवारों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा. Ajeevika Mission के Bahair Block के BM Prashant Kumar Kol बताते हैं-"हमारे Baihar block में Baiga Tribes Women स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं. इनको आर्थिक संपन्न बनाने के लिए block में दो 'Van-Dhan Center' खुलेंगे. यहां की वनोपज kodo Millets और हर्र-बेहड़ा जड़ी-बूटी का संग्रहण का काम समूह की महिलाएं करतीं हैं.साथ ही बांस से बना रहे products को भी केंद्रों पर रखा जाएगा. इस सुविधा से समूह को सही दाम मिल सकेगा."
बैहर में समूह की महिलाएं (Image:Ravivar Vichar)
Blaghat District Project Manager (DPM) Mukesh Bisen कहते हैं-"हमारे जिले में 5 वन-धन विकास केंद्र खोले जा रहे. इससे SHG की महिलाओं को सही दाम मिल सकेंगे.समूह की महिलाओं को मार्केटिंग की समझ कम होने से बिचौलिए औने-पौने दामों पर खरीद लेते. वन धन केंद्र खोले जाने से बिचौलियों से समूह की महिलाएं बच सकेंगी. समूह को और मार्केटिंग के तरीके सिखाए जाएंगे."
जिले में बैहर में Kodo Processing Unit लगेगी जिससे कोदो की फ़ूड पैकेजिंग की जाएगी. SHG महिलाएं Mahua और हर्र-बेहड़ा इकट्ठा करेंगी. Parswada block और Birsa block में बांस उत्पाद तैयार करवाया जाएगा. जबकि लगमा में झाड़ू निर्माण करने वाली समूह की महिलाओं के उत्पाद भी बाजार पहुंचाए जाएंगे.
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