जब भी फिल्मों की बात हो और दादी का ज़िक्र छिड़े, तो शायद हम सभी के दिमाग में एक ही चेहरा आता है... वो चेहरा और कोई नहीं बल्कि Zohra Sehgal है.
जोहरा सहगल (Zohra Sehgal) का नाम आते ही ज़हन में उनकी चुलबुली मुस्कान और तेज से भरी नटखट आंखें तैर जाती हैं. भारतीय सिनेमा और रंगमंच की दुनिया में जोहरा जी ने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है और अपने जीवन को एक मिसाल साबित किया है.
Bollywood की यह 'Favourite Dadi' जितनी ज़िंदादिल स्क्रीन पर दिखती हैं उससे कई ज़्यादा पर्दे के पीछे, अपने असली जीवन में रहीं हैं. बचपन से ही बागी स्वभाव की धनी, Zohra Sehgal ने जिंदगी को हमेशा अपनी शर्तों पर जिया है. वह हमेशा अपने हक़ के लिए संघर्ष करती आईं हैं. यहां तक कि उस दौर में, जब किसी लड़की का समाज के ख़िलाफ बोलना भी बहुत बड़ी बात होती थी, इन्होनें शादी ना करने के लिए 3 बार 10वीं में फेल होने की बगावत कर डाली.
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करियर बनाने चली गईं Europe
बचपन से ही बागी रुख अपनाने वाली Zohra Sehgal ने उस दौर में कला के क्षेत्र में कदम रखा जब महिलाओं का इस क्षेत्र में आना आम नहीं था. उन्होंने बैले नृत्य (Ballet Dance) और acting के कोर्स करने के लिए यूरोप (Europe) जाना उचित समझा. Germany के मशहूर डांस स्कूल Mary Wigman's Ballet School से डांस की शिक्षा लेने वाली वह पहली भारतीय बनीं. अपने करियर की शुरुआत उन्होनें उदय शंकर की डांस कंपनी में की. उनका नृत्य ना सिर्फ मंचों पर बल्कि दर्शकों के दिलों में भी छा गया.
अपने लंबे करियर में Zohra Sehgal ने अनगिनत फिल्मों और नाटकों में काम किया. उन्होंने हर भूमिका को ऐसी जीवंतता से निभाया कि वह किरदार सजीव हो उठता था. उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में 'चीनी कम', 'दिल से' और 'वीर-ज़ारा' शामिल हैं. इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय ड्रामा फिल्म 'बेंड इट लाइक बेकहम' में उनकी भूमिका आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हुई है.
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शादी से बचने के लिए हुईं 10वीं में 3 बार फेल
अपने स्कूली दिनों से ही Zohra Sehgal एक होनहार छात्रा थीं. लेकिन उनकी मां के निधन के बाद, उनके पिता ने फैसला किया कि वह अपनी सभी बेटियों की शादी जल्द से जल्द कर देंगे. कुछ समय बाद, उनकी एक बहन की शादी हो गई, लेकिन उनका वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं रहा. इससे जोहरा ने निर्णय लिया कि वह शादी नहीं करेंगी.
हालांकि, उनके पिता चाहते थे कि जोहरा की शादी हो जाए और उन्होंने कहा था कि जब वह लाहौर के Queen Mary College में अपनी पढ़ाई पूरी कर लेंगी, तो वह उनकी शादी कर देंगे. लेकिन उन्होंने भी हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी शादी को टालने का एक उपाय खोज लिया. अपने स्कूल की प्रिंसिपल को इस बारे में बताया, और उन्होंने जोहरा को 10वीं कक्षा में तीन बार असफल कर दिया, ताकि उनकी पढ़ाई जारी रह सके.
Image Credits - Amar Ujala
तीनों पद्म पुरस्कारों से नवाज़ी गई पहली और सिनेमा की केवल महिला
Zohra Sehgal को भारतीय सिनेमा की 'Grand Old Lady' कहा जाता है. अपने करियर में उन्होनें सैंकड़ों फिल्में की और हर फिल्म में अपनी कला की उम्दा छाप छोड़ी. उन्हें उनकी कला के लिए कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया है. इसमें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड (1963) और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पेश किया जाने वाला कालिदास सम्मान (2001) शामिल है.
2010 में Zohra Sehgal को भारत के दूसरे सबसे उच्च सिविलियन पुरस्कार 'पद्म विभूषण' (Padma Vibhushan) से नवाज़ा गया. इसी के साथ वह पहली और सिनेमा की केवल महिला बन गईं जिसे तीनों पद्म पुरस्कारों (Padma Awards) से सम्मानित किया गया है. इससे पहले वह, 2002 में पद्म भूषण (Padma Bhushan) और 1998 में पद्म श्री (Padma Shri) पुरस्कार से भी सम्मानित हुईं थी.
Zohra Sehgal, जो कि हिंदी सिनेमा का एक चमकता सितारा रहीं है, ने 2014 में 102 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा. उन्होनें ना सिर्फ अपने अभिनय से बल्कि अपने जीवन शैली से लोगों का दिल जीता है. उम्र के हर पड़ाव को बिना किसी झिझक के जीने की प्रेरणा से हमें यह सिखाया है कि उम्र केवल एक संख्या है और जिंदगी हर पल को खुलकर जीने का नाम है. उनकी जिंदादिली और उनका जज्बा हमेशा हमारे बीच एक मिसाल के रूप में रहेगा.
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