Hindi और Bengali सिनेमा से stereotypes तोड़ती Moushumi Chatterjee

Moushumi Chatterjee के अभिनेत्री बनने के सपने को फिल्म 'बालिका वधू' से मिली उड़ान. 1967 में आई यह बंगाली फिल्म उनकी डेब्यू फिल्म थी. इस फिल्म की शूटिंग के शुरुआत में उनकी उम्र महज़ 10 साल थी. इतनी कम उम्र होने के बावजूद उनमें कला की कोई कमी नहीं थी.

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विधि जैन
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Moushumi Chatterjee

Image - Ravivar Vichar

सिनेमा... यह शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में क्या आता है? कैमरा, स्क्रीन, फेम, ग्लैमर और न जाने क्या कुछ... पर शायद यह सब कुछ नहीं है. कैमरे के सामने जो हमें दिखता है वह कैमरे के पीछे की असलियत से बिलकुल अलग होता है. खासकर अभिनेत्रियों का जीवन.

हिंदी सिनेमा में अभिनेत्रियों का करियर 20वीं सदी के अंतिम दशकों में बहुत संघर्षपूर्ण रहा है. उस समय, समाज में मौजूद रूढ़िवादी धारणाएं और stereotypes के कारण अभिनेत्रियों को अक्सर केवल एक विशेष प्रकार की भूमिका में ही देखा जाता था. वे अधिकतर हीरो की प्रेमिका, दुखी मां की भूमिका में नजर आती थीं या ग्लैमरस रोल्स में देखी जाती थी जिससे फिल्म की तरफ लोगों का ध्यान लाया जा सके. उनके पास ऐसे मज़बूत किरदारों की कमी अक्सर देखी गई जिसमें वह किसी कहानी का main character रहीं हो, जिससे उनके अभिनय क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता था.

इन सब चुनौतियों के बावजूद, कुछ अभिनेत्रियों ने अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर इन stereotypes को तोड़ा और नए प्रकार के किरदारों को चित्रित किया. इनमें एक नाम था मौसमी चटर्जी (Moushumi Chatterjee) का जिन्होनें अपने किरदारों से सिनेमा में एक अनोखी पहचान बनाई.

10 साल की उम्र में जुड़ी सिनेमा से

Moushumi Chatterjee का जन्म पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता (Kolkata, West Bengal) में हुआ था. Moushumi को बचपन से ही एक्टिंग का शौक रहा है. घर के पास ही कई सारे फिल्म स्टुडिओज़ होने के कारण वह अक्सर वहां से गुज़रते हुए खुद को एक अभनेत्री के रूप में कल्पना करती थी. एक बार उस वक़्त के मशहूर फिल्म मेकर तरुण मजूमदार (Tarun Majumdar) की नज़र पड़ी और उन्होंने उसी वक्त मौसमी को अपनी बंगाली फिल्म ‘बालिका वधू’ (Balika Badhu) के लिए चुन लिया.

Moushumi Chatterjee के अभिनेत्री बनने के सपने को फिल्म 'बालिका वधू' से मिली उड़ान. 1967 में आई यह बंगाली फिल्म उनकी डेब्यू फिल्म थी. इस फिल्म की शूटिंग के शुरुआत में Moushumi की उम्र महज़ 10 साल थी. इतनी कम उम्र होने के बावजूद उनमें कला की कोई कमी नहीं थी. उनकी ख़ास बात यह थी कि उन्हें किसी भी emotion को दर्शाने के लिए कभी नकली चीज़ों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ा. उदहारण के लिए, Moushumi को आज भी इस बात के लिए प्रशंसा मिलती है कि वह बिना ग्लिसरीन के on-camera बखूबी रो सकती हैं.

15 साल में शादी और 17 साल की उम्र में बनी मां

Moushumi Chatterjee का करियर 'बालिका वधू' के बाद आसमान छूने को था, हर फिल्ममेकर उनके साथ काम करना चाहता था, लेकिन ऐसा कुछ होता उससे पहले ही मौसमी चटर्जी का रिश्ता उनके पिता ने अपने पड़ोसी हेमंत कुमार के बेटे और उस वक्त के मशहूर संगीतकार जयंत मुखर्जी (बाबू) के साथ तय कर दिया. दोनों की शादी हो गई और 17 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली बेटी को जन्म दिया.

इस दौर में अभिनेत्रियों के करियर पर एक और प्रभाव उनके निजी जीवन पर लोगों की नजरें थीं. अक्सर उनके निजी जीवन के फैसलों को लेकर समाज में कठोर नज़रिया अपनाया जाता था, जिससे उनके प्रोफेशनल जीवन पर भी असर पड़ता था. इसी सोच का असर था के उनके करियर की अस्थाई असफलता का दोष भी उनकी बेटी के जन्म को दे दिया गया.

इस बात पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि 

"कुछ लोग मुझे कहते हैं कि, शुरुआती करियर में बच्चों के होने की वजह से मेरा करियर डूबा और ये मेरा करियर मिस्टैक था, लेकिन मैं ये नहीं मानती हूं."

शादी के बाद किया Bollywood में debut

बॉलीवुड में अक्सर अभिनेत्रियां शादी के बाद फिल्मी दुनिया से दूरी बना लेती हैं. इसके बहुत कारण होते हैं, जिनमें से पति को उनकी वाइफ का फिल्मों में काम करने से आपत्ति होना भी होता है। लेकिन इस जगह मौसमी खुद को बहुत किस्मत वाली समझती हैं. वह बताती हैं कि उन्हें उनके परिवार से फिल्मों में काम करने के लिए पूरा समर्थन मिला और उन्होंने Moushumi के स्किल्स को पहचाना और शादी के बाद भी काम करने से नहीं रोका.

बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर शक्ति सामंत ने अपनी फिल्म ‘अनुराग’ में मौसमी को कास्ट किया और इस फिल्म के साथ उनका बॉलीवुड में डेब्यू हुआ. इस फिल्म में उन्हें एक अंधी लड़की का किरदार निभाना था, जिसे अपने हीरो से प्यार हो जाता है. ये फिल्म उस वक्त सुपरहिट साबित हुई थी. इस फिल्म के लिए मौसमी बेस्ट एक्ट्रेस के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड में नॉमिनेटे भी हुई थीं.

हर सुपरस्टार के साथ स्क्रीन शेयर करती आई नज़र

मौसमी चटर्जी ने अपने 15 साल के करियर में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात है कि उन्होंने अपने करियर के दौरान सभी सुपरस्टार्स के साथ काम किया था. उन्होनें शशि कपूर, विनोद खन्ना, विनोद मेहरा, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, जीतेंद्र, राकेश रोशन समेत कई सफल अभिनेताओं के साथ स्क्रीन शेयर की. उन्हें असली स्टारडम मिला 1974 में आई फिल्म ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ से. इस फिल्म के लिए उन्हें ‘बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस फिल्मफेयर अवॉर्ड’ से नवाजा गया था.

अपने फिल्मी करियर में लाजवाब अभिनय करने वालीं मौसमी को साल 2015 में फिल्मफेयर की तरफ से ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ भी मिल चुका है. उनकी superhit films में से कुछ हैं ‘स्वर्ग नरक’, ‘मांग भरो सजना’, ‘प्यासा सावन’, ‘ज्योति बने ज्वाला’, ‘स्वयंवर’ और ‘आनंद आश्रम’.

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