भारतीय सरकार देश में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए बहुत सी परियोजनाएं और पहलों की शुरुआत कर चुकी है. महिला का विकास देश की नींव को मज़बूत बनाएगा. सरकार ने ग्रामीण और शहरी महिलाओं (schemes for rural women) को हर प्रकार की सुविधाओं से लैस करने की ज़िम्मेदारी ली है.
सरकार का DAY NULM 2.0 प्लान
साल का अंत नज़दीक है और इस साल DAY NULM ने शहरी गरीब महिलाओं (urban shgs) को स्वयं सहायता समूह से जोड़कर उन्हें सामाजिक और आर्थिक आज़ादी दी है. मार्च 2024 में DAY NULM का पहला चरण ख़त्म होने वाला है. इसीलिए सरकार Deendayal Antyodaya Yojana-National Urban Livelihood Mission (DAY-NULM) के दूसरे चरण पर विचार कर रही है.
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सरकारी सूत्रों के अनुसार, संभावित DAY-NULM 2.0 शहरों में विभिन्न व्यवसाय समूहों, जैसे निर्माण श्रमिकों, रिक्शा-चालकों और अन्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को लक्षित कर सकता है. वर्तमान में, मिशन महिला स्वयं सहायता समूह बनाने, कौशल-आधारित प्रशिक्षण आयोजित करने, शहरी बेघरों के लिए आश्रय स्थापित करने और सड़क विक्रेताओं का समर्थन करने पर केंद्रित है. मिशन के दूसरे चरण में व्यवसाय के आधार पर समान समूह शामिल हो सकते हैं.
जबकि मिशन मार्च 2024 में समाप्त होने वाला है, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, जो इसके लिए जिम्मेदार है, ने इस साल जून में DAY-NULM पर सहयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के साथ तीन साल के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे.
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मंत्रालय ने 21 जून को कहा था- "उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने और उद्यम विकास में तेजी लाने पर केंद्रित, तीन साल की परियोजना, जिसे 2025 से आगे बढ़ाया जा सकता है, शुरुआती चरण में आठ शहरों को कवर करेगी." आंकड़ों के अनुसार मंत्रालय ने DAY-NULM के लिए 5,387 करोड़ रुपये का बजट जारी किया था.
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DAY-NULM के पहले चरण में SHGs को किया सपोर्ट
मिशन के तहत, महिला स्वयं सहायता समूहों (self help groups urban) को शुरुआत करने 10,000 रुपये का रिवॉल्विंग फंड प्रदान किया जाता है. योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, रिवॉल्विंग फंड स्वयं सहायता समूहों को "किफायती और ऋण की आदत विकसित करने" के लिए दी जाती है. इस योजना के तहत शहरों में 8.74 लाख self help groups के अंतर्गत 89.33 लाख से अधिक महिलाओं को लाया गया है जिनमें से 6.12 लाख SHGs को रिवॉल्विंग फंड वितरित किया जा चुका है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 15 लाख लाभार्थियों ने कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किया था और 8.20 लाख को रोजगार में रखा गया था. इसके अलावा, 8.83 लाख लाभार्थियों को अपना या समूह व्यवसाय स्थापित करने में सहायता प्रदान की गई. इसी के साथ कुल 53.76 लाख विक्रेताओं की पहचान की गई और उन्हें letters of recommendation दिए गए. इसके परिणाम में 37.52 लाख विक्रेताओं के लिए वेंडिंग प्रमाणपत्र और 30.99 लाख को आईडी कार्ड जारी किए गए.
यह योजना महिलाओं के साथ अब व्यवसाय समूहों के लिए भी लाभकारी साबित होगी और देश उन्नति की नई दिशा पर चलने के लिए आगे बढ़ेगा.