जनजाति भाषा और परंपरा को संजोना लेखकों का कर्तव्य : मुर्मू
"जनजाति भाषा (Tribe Language) और परंपरा (Tradition) को संजोना लेखकों का कर्तव्य है. इसे संरक्षित करना चाहिए. साहित्य (Literature) जुड़ता और जोड़ता है. सांस्कृतिक (Culture) धरोहर की तरफ अभी देश में बहुत ध्यान दिया जा रहा है. भारत को इस साल जी-20 (G 20) के आयोजन का मौका दिया गया.रवींद्र नाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की एक कविता में ज़िक्र है- जिसमें साहित्य ही सत्य का संभाव है." यह बात राष्ट्रपति (President) द्रोपदी मुर्मू (Dropadi Murmu) ने भोपाल (Bhopal) में आयोजित उन्मेष-उत्कर्ष आयोजन में बतौर मुख्य अतिथि कही.उन्होंने कहा- "साहित्य आईना दिखाता है. साहित्य ने मानवता को बचा रखा है. साहित्य वह माध्यम से जिससे अपनी भावनाओं को व्यक्त किया जा सकता है."
साहित्य अकादमी और संगीत-नाटक अकादमी का यह आयोजन 6 अगस्त तक आयोजित होगा.
जनजाति समुदाय की धरती मध्यप्रदेश
राष्ट्रपति मुर्मू (Murmu) ने आगे कहा- "साहित्य ने मानवता को बचा रखा है. साहित्य वह माध्यम से जिससे अपनी भावनाओं को व्यक्त किया जा सकता है. हमारे यहां 700 से ज्यादा जनजाति समुदाय और उससे अधिक भाषाएं हैं. मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा जनजाति समुदाय के लोग रहते. साहित्य-कला-संस्कृति के ऐसे आयोजन यहां होना होना चाहिए. संथाली और उड़िया मेरी भाषा रही. अब देश की हर भाषा मेरी है. संथाली में प्रभुनाथ और रामदास जैसे साहित्यकारों ने अच्छा लिखा. अच्छे साहित्य का अनुवाद दूसरी भाषाओं में भी होना चाहिए." उन्होंने जयशंकर प्रसाद, बंकिमचंद्र जैसे रचनाकारों का भी ज़िक्र किया.
भोपाल में उन्मेष-उत्कर्ष आयोजन के एक दिन पहले मुख्य मार्गों से कलाकारों ने कला यात्रा निकाली (Image Credit :Mujeeb Faruqui)
भारत का एक-एक पत्थर शालिग्राम
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा - "उन्मेष का अर्थ आंखों का खुलना और जागरण भी होता है. स्वतंत्रता संग्राम में साहित्यकारों ने अपनी भूमिका निभाई. भारत का एक एक पत्थर भगवान शालिग्राम है और एक एक स्थान जगन्नाथपुरी है."
इस मौके पर मुख्यमंत्री (CM) शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने कहा -"हमारे यहां जब वेद और रिचाएं रच दी गई थीं, तब दुनिया में कोई सोच नहीं सकता था.उन्मेष और उत्कर्ष जैसे आयोजन सारी दुनिया को एक करने में सक्षम होते हैं. राज्यपाल (Governor) मंगूभाई पटेल (Mangubhai Patel) ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया.
भोपाल में जुटे 103 भाषाओं के 575 लेखक शामिल
भोपाल में आयोजित इस साहित्य-कला उत्सव में 103 भाषाओं के 575 लेखक (Writer) शामिल हुए. भोपाल में देशभर के 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के जनजाति व लोक कलाकार ने भाग लिया. इस अवसर पर साहित्य और संस्कृति एकेडमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय संयुक्त सचिव और संस्कृति मंत्री (Culture Minister) उषा ठाकुर (Usha Thakur) भी मौजूद थीं. मध्यप्रदेश साहित्य एकेडमी के अध्यक्ष विकास दवे (Vikas Dave) ने कहा- "यह हमारे प्रदेश के लिए गर्व की बात है, जहां वैश्विक स्तरीय आयोजन हो रहा.यहां देशभर के साहित्य और संस्कृति से जुड़े लोगों की प्रस्तुति को देखने का अवसर मिलेगा." राष्ट्रपति के सामने लोक संस्कृति प्रस्तुति भी दी गई.