मध्याह्न भोजन कर्मचारी उतरे सड़कों पर

तेलंगाना में स्कूली बच्चों के लिए 'मुख्यमंत्री नाश्ता योजना' की शुरुआत की गई थी. जिसका उद्देश्य लगभग 23 लाख सरकारी स्कूल के छात्रों को खाना देना था. आज इसी योजना के खिलाफ अलग अलग जिलों के सैकड़ों मध्याह्न भोजन कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं. 

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हेमा वाजपेयी
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Image Credits : JantaseRishta

तेलंगाना में स्कूली बच्चों के लिए 'मुख्यमंत्री नाश्ता योजना' (Chief Minister's Breakfast Scheme) की शुरुआत की गई थी. जिसका उद्देश्य लगभग 23 लाख सरकारी स्कूल के छात्रों को खाना देना था. आज इसी योजना के खिलाफ अलग अलग जिलों के सैकड़ों मध्याह्न भोजन कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं (mid day meal protest). 

अधिकारियों पर दबाव के चलते उन्हें खुले में खाना बनाना पड़ रहा. प्रदर्शनकारियों ने बताया कि शिकायतों का समाधान ने होने से विरोध और बढ़ रहा है. 

मध्याह्न भोजन कर्मचारी, मध्याह्न भोजन कार्यक्रम की रीढ़

श्रमिकों के प्रवक्ताओं में से एक, मिथिलम्मा ने बताया कि 'मध्याह्न भोजन कर्मचारी, मध्याह्न भोजन कार्यक्रम की रीढ़ है' लेकिन उनका मानदेय हज़ार रुपये पर सिमित हो गया है, जिससे गुजारा नहीं हो रहा है. राशन आपूर्ति के लिए धन राशि कि मांग कि गई क्योंकि पोषण मानकों को बनाए रखना सर्वोपरि था."

किरण ए, निज़ामाबाद में मध्याह्न भोजन कार्यक्रम संभालने वाले  स्वयं सहायता समूह (Self help groups) के सदस्य बताते है कि ज्यादा काम और कम स्टाफ होने के कारण हर दिन हज़ारों बच्चों के लिए भोजन तैयार करने की मांग में मुश्किलें आ रही है. अधिकारीयों से श्रमिकों की भर्ती करने का आग्रह किया गया है.

आरोप लगाया जा रहा है कि कई जिलों में प्रिंसिपल और शिक्षक ने योजना की शुरुआत से पहले ही चीजों को ठीक करने के लिए समयसीमा दी गई थी. प्रदर्शनकारियों बताते है कि उन्हें उम्मीद है कि जैसे टीपीसीसी प्रमुख ए रेवंत रेड्डी, जिन्होंने मध्याह्न भोजन श्रमिकों के साथ एकजुटता व्यक्त की, उनके जैसे और भी अलग-अलग हलकों से उन्हें समर्थन मिलेगा.

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