प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने स्वतंत्रता दिवस के दिन 'ड्रोन की बात' (Drone ki Baat) में यह घोषणा की थी कि पंद्रह हज़ार सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की महिलाओं को ड्रोन (Drone) बनाने और उसका संचालन करने की ट्रेनिंग दी जाएगी. भारत में ड्रोन का बिज़नेस पचास मिलियन डॉलर का है. इसमें महिलाओं को जोड़ने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में और मजबूती आएगी. प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने बताया कि दो करोड़ SHG महिलाओं को लखपति दीदी (Lakhpati Didi) बनाने के लिए नए प्रयास किये जा रहें है.
ड्रोन्स और UAVs के एक्सपोर्ट पॉलिसीस को बनाया सरल
द डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ फॉरेन ट्रेड (DGFT), मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने भारत के नागरिकों के इस्तेमाल के लिए ड्रोन्स और अनमैंन्ड एरीएल व्हीकल्स (UAVs) के एक्सपोर्ट के लिए पॉलिसीस को सरल और उदार बनाया है. ऐसा करने से भारत की विदेश व्यापार निति 2023 (foreign trade policy 2023) में रखे गए हाई-टेक गुड्स जो भारत में बने है जैसे ड्रोन्स के एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा.
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ड्रोन्स लाइसेंस की अवधी तीन साल की होगी
द स्पेशल कैमिकल्स ऑर्गेनिज्म्स मटेरियल इक्विपमेंट एंड टेक्नोलॉजी (SCOMET) ने ड्रोन्स और यूएवी बनाने की निति को आम नागरिक के लिए सरल बनाया है. inhen एक्सपोर्ट करने के लिए जनरल ऑथोराइज़ेशन फॉर एक्सपोर्ट ऑफ़ ड्रोन्स (GAED) द्वारा लाइसेंस दिया जायेगा जिसकी अवधि तीन साल की होगी. इससे व्यापार करने में आसानी के साथ भारत के एक्सपोर्ट को भी बढ़ावा मिलेगा.
नई टेक्नोलॉजी के साथ UAVs मैन्युफैक्चरिंग में होगा इजाफा
इससे भारत की प्रमुख ड्रोन्स और UAV मैन्युफैक्चरिंग कंपनी को बढ़ावा मिलेगा साथ ही इंटरनेशनल मार्केट्स तक उनकी पहुंच भी बढ़ाएगा. एक्सपोर्ट रेस्ट्रिक्शन्स को कम कर नई टेक्नोलॉजी और नए इन्नोवेशंस के साथ इनकी मैन्युफैक्चरिंग में इजाफा होगा. भारत की अर्थव्यवस्था में भी बढ़ोतरी होगी.
ड्रोन उद्योग में 10,000 रोजगार से नए अवसर मिलेंगे
ड्रोन क्षेत्र में भारत 2030 तक 20 अरब डॉलर का उद्योग स्थापित करने का लक्ष्य बना रहा है. पहले से ही प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत इसकी शुरुआत हो चुकी है. अगले तीन साल में ड्रोन्स की मैन्युफैक्चरिंग में पांच हज़ार करोड़ रूपए निवेश किए जायेंगे, जिससे नौ सौ करोड़ का कारोबार होने के साथ दस हज़ार रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.
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इस योजना का उद्देश्य साल 2030 तक भारत को ड्रोन हब बनाना है. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ़ सिविल एविएशन उद्योग, सेवा वितरण और उपभोगताओं को सेवा दे रहा है.
ड्रोन बनाने में DGCA के नियमों का करना होगा पालन
भारत में डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ सिविल एविएशन (DGCA) ड्रोन सिस्टम को रेगुलेट करती है. DGCA के मुताबिक ड्रोन बनाने की अनुमति है पर इसके साथ DGCA के नियमों का पालन करना होगा. DGCA मिनिस्ट्री ऑफ़ सिविल एविएशन (MoCA) के अंतर्गत आती है.
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UAV बनाने के लिए पहले आवेदन कर, यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर प्राप्त करना होगा. इस नंबर को डिजिटल स्काई प्लेटफार्म में सबमिट करना होगा, जो भारत में UAV ऑपरेशन और यातायात को कंट्रोल करने के लिए MoCA द्वारा शुरू की गई पहल है.
ड्रोन उद्योग से बदलेगी भारत की अर्थव्यवस्था
भारत को ड्रोन उद्योग से पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी. मेक इन इंडिया प्रोग्राम (Make in India) की मदद से अलग-अलग उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा. साल 2030 तक सरकार भारत को दुनिया का ड्रोन हब (drone hub) बनाने का सफर शुरू कर चुकी है. कृषि को तकनीक से जोड़कर राष्ट्रीय स्तर के साथ विश्व स्तर पर भी बदलाव आएगा.