ड्रोन बन रहे महिलाओं की उड़ान का ज़रिया

महिलाएं ड्रोन के बारे में सीखने के लिए बहुत उत्सुक है और उनकी मरहम्मत से लेकर maintenance तक सब कुछ सीखना चाह रहीं है. UAVs ने ग्रामीण असम के self help groups को उनके अधूरे सपनों को फिर से प्राप्त करने का मौका प्रदान किया है.

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रिसिका जोशी
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इस साल independence day पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 करोड़ दीदियों को लखपति बनाने का फ़ैसला किया था, और उस पर काम कितनी तेजी से हो रहा है ये समझ पाना कोई बड़ी बात नहीं है. महिलाएं ड्रोन के बारे में सीखने के लिए बहुत उत्सुक है और उनकी मरहम्मत से लेकर maintenance तक सब कुछ उत्साह से सीखना चाह रहीं है. UAVs ने ग्रामीण असम के महिला समूह (Self help group) को उनके अधूरे सपनों को फिर से प्राप्त करने का मौका प्रदान किया है.

Self help group की इन महिलाओं ने शुरु की ड्रोन ट्रेनिंग

मिलिए रिजु बेगम, रोमिना बेगम, हिमाद्रि तालुकदार, रितुमोनि कलिता, रिंकु मोनि मेधि, और मिनाखी बर्मन से - इस सदस्यों ने, जो assam के 40 महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) से सामने आईं है, UAVs या ड्रोन को संचालित, बनाने और मरम्मत करने के कार्यक्रम को पूरा किया है. छह दिन का प्रशिक्षण पूरा कर चुकीं है ये महिलाएं, और अब वे अपने जीवन को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने के लिए समर्थ महसूस कर कर रही हैं.

रिजु, 30 वर्ष की आयु, और रोमिना, 25 वर्ष की आयु, दोनों नलबाड़ी जिले के बरनगर बनेकुची गांव से हैं, वे संजीवनी SHG और माया SHG के सदस्य हैं. सामाजिक और आर्थिक दबावों के कारण वे 10वी के बाद आगे नहीं पढ़ पाईं. रीजु एक सीमांत किसान के रूप में काम कर रही हैं और रोमिना एक दैनिक वेतन वाली श्रमिक है. "कोर्स ने हमें यह दिखाया है कि technology हमारे लिए अवसरों का दरवाजा खोल सकती है. हमें नहीं पता था कि हवा के द्वारा भी  हम कृषि सेवाएं प्रदान कर सकते है,"-रोमिना ने कहा.

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रितुमोनि, जो कि इसी जिले के रायमढ़ा गांव की जोनाकी SHG की सदस्य हैं, लगभग पांच वर्ष पहले humanities में graduation कर चुकीं थी. अब वह ड्रोन को संचालित करने की कला को सीखकर अपनी दैनिक आय तैयार करने के लिए काम कर रहीं है. नारायणपुर गांव की स्वागता SHG की 31 वर्षीय रिंकु मोनि भी humanities में degree holder हैं. "कुछ अपने दम पर करने की इच्छा" ने उसे इस पाठ्यक्रम में शामिल होने के लिए बढ़ावा दिया. 

"कुछ प्रशिक्षुओं के पास पॉलिटेक्निक का पृष्ठभूमि है. उन सभी ने दिखाया है कि स्कूली शिक्षा पूरी करना और सीखने की इच्छा जरूरी है," कहा कृष्णा बरुआ, असम राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (ARSLM) की मिशन निदेशक ने.

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ARSLM ने नलबाड़ी जिले के उप जिला अधिकारी वर्णाली डेका के संचालन में ड्रोन पायलट और प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण का आयोजन करने के लिए सहयोग किया. यह प्रयास प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के ऐलान से आग बढ़ा. इसके अलावा असम सरकार ने उड़ाने और ड्रोन की देखभाल के लिए 15,000 SHG सदस्यों को ऋण और प्रशिक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया है.

असम के कौशल, रोजगार और उद्यमिता मंत्री जयंत मल्ल बरुआ ने DGCA सर्टिफाइड ड्रोन प्रशिक्षण के महत्व को बताया और विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर खोलने में इसका महत्व जताया. "हमें कम से कम 1 लाख ड्रोन ऑपरेटर की आवश्यकता है जो सरकारी और गैर-सरकारी गतिविधियों के लिए बीज बोने और खेतों में उर्वरक डालने जैसे विभिन्न कामों के लिए होते हैं." महिलाओं के लिए यह बहुत बड़ा कदम साबित होगा. देश में भी महिला सशक्तिकरण (Women empowerment) को लेकर सरकार तेज़ी से काम कर रही है. देश का विकास ग्रामीण महिलाओं के साथ ही आगे बढ़ेगा.

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