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Image - Ravivar Vichar
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विश्व में पर्यावरण की महत्वता को हर कोई जानता है और इसी लिए पर्यावरण क्षेत्र के लिए काम करने वाले लोगों को समय-समय पर अलग-अलग अवार्ड देकर उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। एक बार फिर जैव विविधता संरक्षण के लिए किए जाने वाले प्रयासों को बढ़ावा देने व इस क्षेत्र में सराहनीय काम करने के लिए महिला शक्ति का सम्मान किया गया, हाल ही में भारत की Dr. Purnima Devi Barman को भी संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च पर्यावरण अवार्ड (Green Oscar 2024) से नवाजा गया।
उन्हें यह पुरुस्कार पहले भी 2017 में दिया गया है जिसमे उन्हें सारस पक्षी को बचाने और लोगों को इस पक्षी के महत्व करने के प्रति Aware करने के लिए प्रदान किया गया था
इस वर्ष उन्हें Whitley Gold Award 2024 (Green Oscar) लुप्तप्राय पक्षी, Greater adjutant Birds
व्हिटली फ़ंड फ़ॉर नेचर यूनाइटेड किंगडम नाम की इस संस्था ने 2007 में व्हिटली गोल्ड अवार्ड्स की स्थापना की थी। व्हिटली गोल्ड अवार्ड्स वैश्विक जैव विविधता और जलवायु संकटों के समाधान खोजने के साथ जीवों के संरक्षण के प्रयास करने और इस क्षेत्र में महतवपूर्ण योगदान देने वाले प्रमुख व्यक्तियों को दिया जाता है विजेताओं को एक वर्ष में project financing के रूप में 50,000 (ब्रिटिश पाउंड) प्रदान किये जाते है
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पूर्णिमा को पर्यावरण से बहुत लगाव है और इससे जुड़े कामों में उनका नाम कई बार सामने आ चुका है असम में वाइल्ड लाइफ बायोलॉजिस्ट के रूप में पूर्णिमा सारस पक्षी को बचाने के हर मुमकिन प्रयास कर रही है और उनके इस प्रयास से सारस की आबादी अब चौगुनी हो चुकी है
पर्यावरण संरक्षण की डॉ. पूर्णिमा की कहानी बचपन से शुरू हो गई थी जब वो ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क जिसे स्थानीय रूप से असमिया में “हरगिला” के नाम से जानते है को नदी किनारे देखा करती थी किन्तु इस पक्षी से लोग नफरत करते थे क्योकि वो खराब सड़ी व कार्बनिक चीजों को खाता है और गंदे वातावरण में रहना पसंद करता है इस पक्षी के प्रति लोगों की नफरत देखकर भी डॉ. पूर्णिमा का इसके प्रति प्रेम उतना का उतना ही रहा लेकिन जब उन्हें पता लगा की पूर्वोत्तर भारत में हरगिला की आबादी घटकर केवल 450 पक्षी रह गई है
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चूँकि उन्हें इस पक्षी की महत्ता पता थी की इस पक्षी के न होने से ecosystem पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा (Hargila bird - ये कई जहरीले साँपों को खाकर नष्ट करता है जिससे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है) तो उन्होंने इसे बचाने के प्रयास शुरू किये लोगों को इस पक्षी के महत्व बताने के साथ उन्हें पक्षियों को बचाने के प्रयासों में शामिल भी किया और अब तक अपने इन कोशिशों से इस पक्षी की आबादी को चार गुना कर चुकी है
यह सम्मान न केवल डॉ. बर्मन के लिए बल्कि असम और देश के बाकी हिस्सों के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और साथ ही वैश्विक मंच पर जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में महिला शक्ति पर ध्यान भी केंद्रित करता है। यह सम्मान (Green Oscar) वन्यजीव संरक्षण में सराहनीय योगदान और जैव विविधता की सुरक्षा में किये गए उनके प्रयासों के महत्व को बताता है
डॉ पूर्णिमा ने कहा “यह अवार्ड वास्तव में टीम की उन महिलाओं के लिए है जो अब तक की इस यात्रा में मेरी साथ रही हैं। यह देश की महिलाओं की ओर से दुनिया के लिए एक संदेश है कि कैसे हम समर्पण और प्रतिबद्धता के माध्यम से संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा दे सकते हैं” उनके प्रयासों ने असम की 10,000 महिलाओं को संरक्षण परियोजना में हिस्सा लेने के लिए एकजुट किया है और महिलाओं की निरंतर भागीदारी के माध्यम से हरगीला के संरक्षण के लिए दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया है।
आरण्यक के महासचिव और सीईओ Dr. bibhab kumar talukdar ने कहा, डॉ. पूर्णिमा देवी बर्मन की उपलब्धि ने टीम आरण्यक को गौरवान्वित किया है और हम सभी को जीवों के बचाव और इस nature को सुरक्षित रखने के हमारे इस मिशन के प्रति बहुत अच्छा कार्य करने के लिए हमें प्रोत्साहित किया है।
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