झारखंड की 'Lady Tarzan' : पद्मश्री चामी मुर्मू

Chami Murmu ने 1988 में गांव के पुरूषों के खिलाफ़ जाकर गांव की औरतों को आगे बढ़ाते हुए उनके साथ मिलकर वृक्षारोपण की पहल शुरू की. उन्होंने खाना पकाने के काम में आने वाली लकड़ियों के साथ ही furniture में लगने वाली लकड़ियों के लिए फायदेमंद पेड़ लगाए.

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विधि जैन
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Lady Tarzan of Jharkhand_Padma Shri Chami Murmu

Image - Ravivar Vichar

बचपन में क्या कभी हमने गिरने या चोट लगने के डर से खेलना छोड़ दिया? नहीं ना! हम उस चोट से सीख कर उससे आगे बढ़ गए और बचपन की अनगिनत यादगार कहानियां बुनने निकल पड़े. फिर आज हम ये क्यों भूल जाते हैं कि वो बचपन भी हमारे जीवन का दौर था और जो अभी है वो भी एक दौर ही है. हमें हालातों को कोसने के बजाय यह समझना ज़रूरी है कि जीवन रास्ते में आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करने, आगे बढ़ते रहने और सफर का आनंद लेने के बारे में है.

इसी बात को अपनी कहानी से याद दिलाती है Padma Shri Chami Murmu. Jharkhand के सरायकेला खरसावां में जन्मी Environmental Activist Chami Murmu का जीवन भी कुछ कम चुनौतियों भरा नहीं था. मगर फर्क था तो सिर्फ इतना के उन्होंने हार मानने के जगह डटकर लड़ना चुना. जिसके फलस्वरूप उनके पर्यावरण संरक्षण में दिए योदगान के लिए गणतंत्र दिवस 2024 में उन्हें Padma Shri Award (पद्मश्री पुरस्कार) से सम्मानित किया गया है.

Lady Tarzan बनने का सफर

Jharkhand की 'Lady Tarzan' के नाम से पहचान बनाने वाली Chami Murmu को 10वीं के बाद अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. उन्होंने अपने पिता और बड़े भाई की मौत के बाद एक बीमार मां और 3 भाई - बहनों की ज़िम्मेदारी को अकेले संभाला. घर में पैसे कमाने वाली वह अकेली ही थी. कमाई के ज़रिए खोजने के लिए वह हर जगह कोशिश करती रही. ऐसे ही रोज़गार से जुड़ी एक बैठक के दौरान उन्हें खुद के और साथी महिलाओं के लिए कुछ करने का विचार आया. अपने गांव के लोगों को खाना पकाने के लिए जंगल के पेड़ काट लकड़ी जमा करते देख उन्हें ख़्याल आया कुछ ऐसा करने का जिससे लोगों की ज़रूरतें भी पूरी हो जाए और पर्यावरण को नुकसान भी ना हो. तब शुरू हुआ उनका पर्यावरण संरक्षण (Forest Conservation) का यह सफर और बनीं Lady Tarzan.

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36 साल पहले शुरू किया आंदोलन

Chami Murmu ने 1988 में गांव के पुरूषों के खिलाफ़ जाकर गांव की औरतों को आगे बढ़ाते हुए उनके साथ मिलकर वृक्षारोपण (sapling plantation) की पहल शुरू की. उन्होंने खाना पकाने के काम में आने वाली लकड़ियों के लिए नीलगिरि (Eucalyptus), साल (Sal) और बबूल (Acacia) के पौधे रोपे. साथ ही furniture में लगने वाली लकड़ियों के तौर पर नीम (Neem) और शीशम (Sheesham) जैसे फायदेमंद पेड़ लगाए. यह पौधे उन पेड़ों के जगह लगाए गए जो काट दिए गए थे जिससे कि आगे चल कर भरपाई हो पाए और पर्यावरण को बचाया जाए.

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36 साल के इस सफर के दौरान अबतक उन्होंने और उनके साथ जुड़ी महिलाओं ने 500 गांव से जुड़कर 28 लाख से भी ज़्यादा पेड़ लगा दिए हैं. यह गिनती अभी भी जारी है. साल 2020 में मुर्मू और पद्मश्री जमुना तुडू (Padma Shri Jamuna Tudu) ने साथ जुड़ झारखंड के वनों को बचाने का ऐलान किया. उन्होंने forces के साथ जुड़ नक्सलवाद और पेड़ों की गैरकानूनी कटाई को होने से रोका.

Chami Murmu को पेड़ों के बचाव के लिए 1996 में Indira Priyadarshini Vrikshamitra Award (इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार) मिला है. पर्यावरण संरक्षण में एक अहम भूमिका निभाने के लिए 2020 में पूर्व राष्ट्रपति Ramnath Kovind से Nari Shakti Award (नारी शक्ति पुरस्कार) भी प्राप्त हुआ है.

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