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ग्रामीण महिलाओं को देश के विकास की नींव बनाना सरकार की प्राथमिक कार्यों में से एक है. सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है कि वे हर महिला को financially और socially independent बनाए. इस काम को ध्यान में रखते हुए सरकार ने self help group तैयार करने में महिलाओं को बहुत साथ दिया है. अपने जैसी और भी महिलाओं से जुड़कर वे आगे बढ़ती है. मिलकर किसी काम को शुरू करती है और पैसा अर्जित करती है.
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बहुत सी महिलाएं canteen भी चला रही है. ऐसे बहुत से राज्य है जहां गरीबों को खाना खिलाने के लिए सरकार ने बहुत minimal rates पर canteens शुरू किए है और इनका संचालन ज़्यादातर SHG महिलाएं करतीं है. कर्नाटक सरकार (Karnataka news) ने भी इसी तरह का कैंटीन इंदिरा कैंटीन (Indira canteen karnataka) की शुरुआत 2017 में की थी और अब तक, बेंगलुरु में कुल 185 इंदिरा कैंटीन हैं. यह कार्यक्रम किफायती भोजन प्रदान करता है, जिसमें नाश्ता 5 रुपये में और दोपहर और रात का खाना 10 रुपये में मिलता है.
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मेन्यू में सप्ताह के दिन के आधार पर नाश्ते के लिए स्थानीय प्रकार के विकल्प शामिल हैं. दोपहर के भोजन और रात के खाने के लिए, चावल, सांबर, दही चावल, और ऐसे बहुत से व्यंजन शामिल है.
खर्च की बात करें तो हर दिन 1.5 लाख से 2 लाख लोग इस योजना के अंतर्गत खाना खा रहे है. सरकार सेवा प्रदाता को लगभग 60 रुपये (GST को छोड़कर) का भुगतान करती है. 70% राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है और 30% civic bodies द्वारा cover किया जाता है. सरकार ने इस कार्यक्रम के लिए 100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है.
हाल की कैबिनेट बैठक में, सिद्धारमैया सरकार ने 100 करोड़ रुपये के कुल बजट को बनाए रखते हुए भोजन सेवा प्रदाता को भुगतान बढ़ाकर 62 रुपये करने का फैसला किया. सरकार का यह फैसला महिलाओं से लेकर गरीब तब्के के लोगों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है. गरीब महिला और लोगों का विकास ही देश को financially independent होने में सहायता प्रदान करेगा.