डिंडोरी की मिलेट्स वुमन को मिला राष्ट्रपति अवार्ड

डिंडोरी की आदिवासी महिला ने जंगलों में मिलेट्स को संरक्षित कर गुमनाम प्रकृति बचने वाली लहरी बाई को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने सम्मानित किया. मोटे अनाज की खेती के लिए मॉडल कृषक और सरकार की एम्बेसेडर भी. लहरी बाई एक बार फिर सुर्ख़ियों में है.

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नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू मिलेट्स वुमन लहरी बाई का सम्मान करते हुए (Image Credits: Raj Express) 

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के डिंडोरी (Dindori) जिले की बैगा आदिवासी (Baiga Tribal) लहरी बाई (Lahri Bai) बचपन से जंगल को बचाने और मोटे अनाज (Millet) का बीज (Seed) इक्कठा करती रही. 

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Image Credits: google Images

मिलेट्स बीज बैंक के बाद सुर्ख़ियों में लहरी 

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू (President Dropadi Murmu) ने नई दिल्ली (New Delhi) के ICAR कन्वेंशन हॉल में  'पादप जीनोम संरक्षक पुरस्कार समारोह' में  कृषक लहरी बाई को दुर्लभ श्रीअन्न बीजों के संरक्षण के लिए 'प्लांट जीनोम सेवियर फार्मर पुरस्कार' से सम्मानित किया.

राष्ट्रपति मुर्मू (President Murmu) ने कहा- "लहरी बाई प्रकृति की असली संरक्षक है. उसने ही प्रकृति के उपहार कृषि जैव विविधता को बचाकर रखा. वनस्पतियों का संरक्षण सभी के लिए बहुत जरुरी है." 

पीएम के ट्वीट में भी तारीफ़ 

कृषक लहरी बाई द्वारा स्व-प्रेरणा से लघु धान्य फसलों के बीजों को संरक्षित किए जाने के लिए पुरस्कार डेढ़ लाख रुपए सहित प्रशस्ति-पत्र दिया गया. 27 साल की लहरी बाई के लिए प्रधानमंत्री (PM) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा था -"लहरी बाई पर गर्व है,जिन्होंने श्री अन्न के प्रति उत्कृष्ट समर्पण दिखाया है.उनके प्रयास कई अन्य लोगों को प्रेरित करेंगे." 

बीज देख पहचान जाती मिलेट्स  

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मिलेट्स सीड के साथ डिंडोरी की लहरी बाई                 

लहरी बाई ने अपने छोटे घर के एक कमरे को  Seed Bank बना दिया. लहरी बाई कहती है- "मुझे शुरू से जंगल और पेड़-पौधों से प्रेम रहा. जंगल में मोटा अनाज बचा कर रखती. शुरू में 15 तरह के बीज बचाए. धीरे-धीरे मैंने 150  बीज कमरे में इक्कठा कर लिए. मुझे राष्ट्रपति से मिल कर अच्छा लगा." लहरी बाई बीज देख मिलेट्स की प्रजाति पहचान जाती है. प्रदेश में डिंडोरी के जंगलों में कोदो-कुटकी (Kodo-Kutaki) जैसे मोटे अनाज को जिला प्रशासन ने काफी प्रमोट किया. लहरी बाई प्रदेश की 'सीड एम्बेसडर' है.

मिलेट्स कैफे से युवाओं में रुझान 

बेहतर स्वास्थ्य को लेकर ख़ास कर युवा मिलेट्स को अब उपयोग करने लगे. UN ने 2023 को International Millet Of The Year घोषित करने के बाद देशभर में Millet Caffe खुल गए. Nutritionist मेघा शर्मा कहती हैं- "आजकल भागदौड़ और स्ट्रेसफुल लाइफ में हेल्थ अवेयरनेस भी जरुरी है. Junk Food की जगह अब Millet Products को उपयोग किया जाना चाहिए. इस तरह के मोटे अनाज में कोलेस्ट्रॉल,फेट्स की मात्रा काम होती है. ये फायदेमंद होता है. आजकल इसकी कई तरह कई स्वादिष्ट डिशेस भी बन रही हैं."

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