मिलेट्स प्रचार के लिए महिलाएं मैदान में
उज्जैन (Ujjain) जिले में बच्चों और महिलाओं को एनीमिया (Anemia) से बचाने और पौष्टिक नाश्ता मिलेट्स (Millets)का महत्व बताने के लिए महिला एवं बाल विकास (Women And Child Devpolment) के सुपरवाइज़र (Supervisior)को भी मैदान में उतारा. आंगनबाड़ी और पब्लिक एप्रोच होने के कारण सुपरवाइज़र को ट्रेनिंग दी गई. उज्जैन के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK)में यह ट्रेनिंग हुई. सभी सुपरवाइज़र को केवल ट्रेनिंग नहीं बल्कि उनको रेसिपी तैयार कर भी समझाया.इस ट्रेनिंग में 27 शहरी और ग्रामीण सुपरवाइज़र ने भाग लिया.
ट्रेडिशनल कल्चर जरुरी
केंद्रीय विज्ञान केंद्र के हेड आरपी शर्मा ने कहा- "बेहतर हेल्थ के लिए ट्रेडिशनल कल्चर (Traditional Culture)को अपनाना जरुरी है. आप सभी एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं. आंगनबाड़ी और कमज़ोर महिलाओं तक यह संदेश जाए कि हमारे पूर्वजों द्वारा उपयोग किया जाने वाला मोटा अनाज 'श्रीअन्न' पूरी तरह पौष्टिक होने से फायदेमंद है. आंगनबाड़ी में बच्चों को प्रोत्साहित करें साथ ही उनके अभिभावकों को भी मिलेट्स का नाश्ता खाने को कहें." भारतीय अनुसंधान परिषद का 95 वां स्थापना दिवस भी मनाया गया. सेंटर पर हुई ट्रेनिंग की प्रभारी चीफ असिस्टेंट टेक्निकल ऑफिसर (Incharge Chief Assistant Technical Officer) डॉ.मौनी सिंह ने यह ट्रेनिंग दी.
जरा से प्रयास से बच्चे मुस्कुराएंगे
ट्रेनिंग की प्रभारी चीफ असिस्टेंट टेक्निकल ऑफिसर डॉ. मौनी सिंह ने कहा- " सुपरवाइज़र जरा भी प्रयास कर लेंगे तो कुपोषित बच्चे पौष्टिक श्री अन्न के खाने से हेल्दी होंगे और मुस्कुरा उठेंगे. श्रीअन्न यानि मिलेट्स में जुवार,बाज़ार, कोदो,कुटकी और रागी जैसे मोटे अनाज शामिल होते हैं. इसको नाश्ता के रूप में तरीके से बनाया जाए तो स्वाद के साथ शरीर को भी ऊर्जा मिलेगी."
केंद्रीय विज्ञान केंद्र, उज्जैन में रेसिपी सिखाती डॉ. मौनी सिंह (Image Credit: Ravivar Vichar)
कोदो का दलिया तो कुदकी की कटोरी में सजी खीर
सेंटर पर डॉ. सिंह ने सुपरवाइजर्स को कोदो (Kodo)का दलिया और कुदकी(Kutaki) की खीर बनाना सिखाई. इसके साथ रागी (Ragi) का हलवा और जुवार (Juar)के लड्डू भी बनाना सिखाए. उन्होंने रेसिपी (Recipe) में बनाने में रखने वाली सावधानी को समझाया. ऐसे मोटे अनाज को भिगोना जरुरी है. इसे रगड़ कर धो कर ही कोई रेसिपी तैयार करना चाहिए. डॉ. सिंह ने डिशेस बनाते वक़्त बताया कि यह बहुत जल्दी बनता है. इसमें टाइम सेविंग भी होती है.जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी साबिर अहमद सिद्दीकी ने इसे अच्छी पहल बताया. इसमें शामिल सुपरवाइज़र मंजू तिवारी,अर्चना अखंड कहती हैं - "इस ट्रेनिंग में ख़ास बात हम सभी को यहां श्रीअन्न मोटा अनाज से बनने वाली रेसिपी भी सिखाई गई. हम सभी इसे विभाग के दूसरे साथियों को सिखाएंगे."
एनीमिया के खिलाफ नई उम्मीद
उज्जैन जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग लगातार बच्चों और महिलाओं के रेंडम सैंपल लेकर एनीमिया (Anemia) की जांच करता है. ऐसी रिपोर्ट के अनुसार जिले में अलग-अलग उम्र और जनरल एनीमिया, मिडिल और सीरियस कैटेगरी के अनुसार इलाज का रिकमंड करता है. जिले में छह माह से 5 साल के बच्चों में की गई जांच के अनुसार लगभग साढ़े तीन हजार बच्चों में सामान्य खून की कमी पाई गई. मिडिल स्टेज में 584 बाचे और गंभीर रूप से पीड़ित बच्चे 46 हैं, जिनको इलाज की जरूरत है. इसके अलावा एक डेढ़ हजार से अधिक बच्चियां और महिलाओं में मिडिल स्टेज एनीमिया पाया गया. सबसे सीरियस स्टेज में तीन सौ से अधिक महिला और बेटियां भी जिन्हें एनीमिया है.इसमें गर्भवती महिलाएं भी शामिल कर जांच की.डॉ.सिंह कहती हैं -"इस तरह की ट्रेनिंग से पीड़ित बच्चियों और महिलाओं को पौष्टिक खाने के लिए प्रेरित करने में मदद मिलेगी."
केंद्रीय विज्ञान केंद्र उज्जैन पर ट्रेनिंग के दौरान हेड शर्मा और सुपरवाइजर्स (Image Credit: Ravivar Vichar)
मिलेट्स है फाइबर बैंक
न्यूट्रिशनिस्ट मेघा शर्मा (nutritionist Megha Sharma) श्रीअन्न के बढ़ते प्रचलन को लेकर कहती हैं - "मोटा अनाज (Millets) हमारे पूर्वजों की पहचान है. यह पथरीली ज़मीन और काम पानी में भी तैयार हो जाती है. एडवांस फैशन ने इसे पीछे धकेल दिया,जिसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ा. मोटे अनाज (Millets) में रिच फाइबर (Fibers), खनिज, माइनर न्यूट्रिएंट्स तक पाए जाते हैं. इससे बॉडी की मेटाबॉलिज़्म बढ़िया होती है. इसका और प्रचार जरुरी है.यह फाइबर्स बैंक है."