वर्ल्ड पॉवरलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में तोड़े रिकॉर्ड्स, जीते गोल्ड

15 साल की काशा निया सचदेव ने वेट-लिफ्टिंग में 4 रिकॉर्ड बनाते हुए 3 गोल्ड मेडल्स जीते. उनके साथ ही 13 वर्षीय नोआ सारा एपन ने भी वेट-लिफ्टिंग में 3 वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़कर गोल्ड मैडल हासिल किये.

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मिस्बाह
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multiple records in powerlifting world championship

Image Credits: kasha_nia_sachdev/Instagram

विश्व पॉवरलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में इंडियन टीन गर्ल्स का पॉवर 

जिस उम्र में लड़कियों को पार्क में खेलने को कहा जाता है, उस उम्र में मुंबई की 2 लड़कियों ने विश्व पॉवरलिफ्टिंग चैम्पियनशिप (World Powerlifting Championship) में भारत का झंडा लहराया. 15 साल की काशा निया सचदेव (Kasha Nia Sachdev) ने वेट-लिफ्टिंग में 4 रिकॉर्ड बनाते हुए 3 गोल्ड मैडल्स जीते. उनके साथ ही 13 वर्षीय नोआ सारा एपन (Noa Sara Eappen) ने भी वेट-लिफ्टिंग में 3 वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़कर गोल्ड मैडल (gold medal) हासिल किये. दोनों खिलाड़ियों ने किर्गिज़स्तान (Kyrgyzstan) में आयोजित विश्व पॉवरलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में भारत को गर्व महसूस कराया.

तोड़े कई रिकॉर्ड्स, जीते गोल्ड 

बीडी सोमानी इंटरनेशनल स्कूल (BD Somani International School) की स्टूडेंट्स ने 'फ़ुल पावरलिफ्टिंग' में अपनी ताकत और कौशल का प्रदर्शन किया, जिसमें तीन श्रेणियां शामिल थीं - स्क्वाट, बेंच और डेडलिफ्ट, और 'सिंगल इवेंट' जिसमें डेडलिफ्ट और बेंच प्रेस शामिल थे. काशा निया सचदेव ने 75 किग्रा के वेट को उठाकर रिकॉर्ड बनाया. उन्होंने फुल पावरलिफ्टिंग इवेंट में 198.5 किलोग्राम वजन उठाया: स्क्वाट (80 किलोग्राम), बेंच (33.5 किलोग्राम) और डेडलिफ्ट (85 किलोग्राम). सिंगल इवेंट में उन्होंने डेडलिफ्ट में 85 किलोग्राम, बेंचप्रेस में 34 किलोग्राम वजन उठाया.

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Image Credits: kasha_nia_sachdev/Instagram

वहीं, नोआ सारा एपन ने 61 किग्रा के वेट को उठाकर रिकॉर्ड (record) तोड़ा. फुल पावरलिफ्टिंग इवेंट में, उन्होंने 210 किलोग्राम वजन उठाया: स्क्वाट (70 किलोग्राम), बेंच (41.5 किलोग्राम) और डेडलिफ्ट (98.5 किलोग्राम). सिंगल इवेंट  में उन्होंने डेडलिफ्ट में 100 किलोग्राम और बेंचप्रेस में 42.5 किलोग्राम वजन उठाया.

दोनों ने बचपन से शुरू की प्रैक्टिस 

काशा निया सचदेव (Kasha Nia Sachdev) आठ साल की थीं जब उनके पिता निकोलाई उन्हें वजन उठाने के लिए जिम ले जाने लगे. उससे ठीक एक साल पहले,काशा  को जेनु वाल्गम नामक बीमारी का पता चला था, जिसे 'नॉक नीज' के नाम से जाना जाता है, जहां घुटने अंदर की ओर झुक जाते हैं. इसकी वजह से उन्हें दो सर्जरी और फिजियोथेरेपी से गुज़ारना पड़ा. लेकिन, सुधार कुछ ख़ास नहीं था. तब निकोलाई ने कहीं पढ़ा कि वज़न उठाने से उसे ठीक किया जा सकता है और वह उसे जिम ले जाने लगे. ये दोनों भारतीय खिलाड़ियां अपने प्रदर्शन से विश्व पॉवरलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में सबको हैरान कर दिया है. 

multiple records in powerlifting world championship

Image Credits: kasha_nia_sachdev/Instagram

कुछ ही समय बाद काशा अपनी स्कूल की साथी और जिम पार्टनर नोआ इप्पेन से मिली.  नोआ ने 10वीं कक्षा में वेट लिफ्टिंग (weight lifting) शुरू कर दी थी. भारी डम्बल और भारी बारबेल की दुनिया में नोआ का प्रवेश उसकी माँ की बदौलत हुआ, जो एक फिटनेस एंथूसिआस्ट है.

भारत की इन दो पॉवरफुल खिलाड़ियों के दमदार प्रदर्शन ने लड़कियों (girls in powerlifting) को खेल की दुनिया में अपनी पहचान बनाने और पॉवरलिफ्टिंग (powerlifting) की फील्ड में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है.

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