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Image: Ravivar Vichar
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आज अगर सारे संसाधनो का इस्तेमाल सही ढंग से नहीं किया गया, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए मुश्किलें और बढ़ जाने की सम्भावना है. इसीलिए उनकी ज़रूरतों का ध्यान रखते हुए हमें आज एक स्थायी जीवन शैली का निर्माण करना होगा और यह भी ख्याल रखना होगा कि इस धरती पर कम से कम chemical based products और ऐसे प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करे जो पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित हो रहीं है. Plastic से बढ़ते प्रदुषण से बचते हुए हमे ऐसे कदम लेने की ज़रूरत है जो पर्यावरण के लिए अच्छे हो और nature friendly हो.
इसी उद्देश्य को बढ़ावा देते हुई नज़र आ रही हैं Assam SHG की महिलाएं. ये महिलाएं अपने बनाए जूट उत्पादों को और बेहतर कर NABARD द्वारा आयोजित Micro Enterprise Development Program (MEDP) के तहत मैक्रैम और जूट शिल्प पर एक training program में भाग ले रहीं हैं. प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन NABARD के DDM राजेंद्र पेरना ने किया, जिसमें Kaliyabor development block के self help groups (SHGs) के 30 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया.
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कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए DDM ने बताया कि- "Self help group के सदस्यों की जुट उत्पादों को लेकर production की समस्या को ख़त्म करने के लिए ही NABARD 2006 से ही इन महिलाओं को MEDP द्वारा किये गए प्रशिक्षणों से सहायता कर रहा है."
मैक्रैम और जूट शिल्प गतिविधियों पर MEDP की training चल रही है जिनमें इस महिलाओं को बहीखाता, उद्यम प्रबंधन, व्यवसाय की गतिशीलता जैसडे विषयों के बारे में सिखाया जा रहा है. साथ यह वे महिलाओं को अलग अलग जुट उत्पाद तैयार करना भी सीखा रहे है. कार्यक्रम में यह भी बताया कि Eligible trainees का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उहे सरकारी agency और banks से लोन सहायता भी प्रदान की जाएगी ताकि वे अपना business शुरू कर पाए.
सरकार कई ऐसे अभियानों और योजनाओं के ज़रिये इन SHG महिलाओं की सहायता करते हुए उनका मनोबल बढ़ा रही है, और साथ ही उनको train भी कर रही है ताके वे सफल हो सकें. NABARD के इस training programme को सफलतापूर्वक पूरा जा चुका है और उम्मीद की जा रही है कि इसके माध्यम से Assam क्षेत्र में जूट उत्पादों के विकास में एक नई दिशा मिलेगी।