NIFT, फैशन टेक्नोलॉजी (fashion technology) को महिला और ग्रामीण विकास (rural empowerment) का ज़रिया बना रहा है. स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने के लिए NIFT ने अनोखा कदम उठाया.
ग्रामीण क्षेत्रों में माइक्रो-इंटरप्राइजेज को बढ़ावा दे रहा NIFT
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) अपनी नई पहल क्लस्टर विकास परियोजना (Cluster development project) के ज़रिये आर्थिक विकास (financial progress) को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहा है. यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में कई माइक्रो-इंटरप्राइजेज (micro enterprises) की स्थापना करके जमीनी स्तर पर गरीब समुदायों के विकास के लिए शुरू की गई है. स्व-रोज़गार (self employment) के ज़रिये स्थानीय समुदायों को सशक्त (NIFT empowering local challenges) बनाने का भारत सरकार का यह एक व्यापक प्रयास है.
सशक्तिकरण और समावेशन के प्रति निफ्ट की कोशिशें इसकी परियोजनाओं में दिखाई देती हैं, जो सांस्कृतिक विविधता (cultural diversity) को बनाए रखने और स्थानीय रोजगार को बढ़ाने पर ध्यान देती हैं. निफ्ट के पास इन-हाउस डिजाइनिंग (in-house designing), डेवलपमेंट इनिशिएटिव सेल (development initiative cell), प्रोजेक्ट मैनेजमेंट (project management), कौशल और टेक्नोलॉजी अपग्रेडिंग (skill and technology upgrading) की अनोखी एक्सपर्टीस है.
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SHG बन रहे आत्मनिर्भर
ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of Rural Development) की स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (Swarnjayanti Gram Swarozgar Yojna- SGSY) के तहत निफ्ट की क्लस्टर विकास पहल इन्क्लूसिव डेवलपमेंट (inclusive development) की दिशा में अहम कदम है. इस पहल का लक्ष्य ग्रामीण समुदायों (inclusive development) की क्षमता का इस्तेमाल करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्यम (small business) शुरू करना है. SGSY में स्व-रोजगार के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, जिसमें ग्रामीण गरीबों (rural poor) को स्वयं सहायता समूहों (self help groups) में संगठित करना, प्रशिक्षण, ऋण तक पहुंच, प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और मार्केटिंग सहायता देना शामिल है.
क्लस्टर पहल मूल रूप से गरीबी कम करने पर केंद्रित है. इसके तहत प्रशिक्षण (training) और कौशल विकास (skill development) कार्यक्रमों के ज़रिये चयनित समूहों को आत्मनिर्भर बनाया जायेगा. विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल (training module) तैयार किया गया है. स्वयं सहायता समूहों (SHG) की आय को 15-20 प्रतिशत तक बढ़ाया जायेगा और बेरोजगार कारीगरों (unempoyed artists) को रोजगार दिया जायेगा.
तीसरे साल में, इन कारीगरों के राजस्व में 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करने का लक्ष्य है. प्लान में, भागीदार एजेंसियों के साथ सहयोग करना, व्यापार शो, प्रदर्शनियां शामिल हैं. डिजाइन डेवलपमेंट (design development) और कंसल्टेंसी चार्जेज (consultancy charges) से रॉयल्टी (royalty) और कमाई के ज़रिये निफ्ट को लाभ पहुंचेगा.
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मार्केट डिमांड होगी पूरी
यह पहल बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए, नए उत्पादों को बनाने के लिए, डिजाइन, रंग, एस्थेटिक (aesthetic) और गुणवत्ता (quality) का ध्यान रखा जायेगा.
टारगेट बाजार (target market) में अंतरराष्ट्रीय और भारतीय डिजाइनर (International Designers), हाई-फैशन खरीदार (Hi-Fashion Buyers), परिधान ब्रांड (अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू दोनों), राज्य और केंद्रीय एम्पोरिया (Emporia), डिपार्टमेंटल स्टोर (Departmental Stores), मेले और प्रदर्शनियां (Fairs & Exhibition) और स्थानीय बाजार शामिल हैं.
निफ्ट (NIFT) ने पांच शिल्प समूहों की पहचान की है और पूरे भारत में पांच केंद्रों में परियोजना का संचालन किया है, जिसमें पश्चिम बंगाल, गुजरात, केरल, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं. इस परियोजना का लक्ष्य प्रौद्योगिकी, सूचना और कौशल को जमीनी स्तर तक पहुंचाना है, जिससे गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के जीवन स्तर में सुधार होगा.