देश की पहली महिला महावत - Padma Shri Parbati Baruah

Parbati Baruah को देश की पहली महिला महावत के रूप में मान्यता मिली. देशभर में उन्होंने Wildlife Conservation का प्रचार किया. उनके इसी सामाजिक कार्य में दिए गए उत्कृष्ट योगदान को देखते हुए 75वे गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें 'पद्मश्री' से नवाज़ा गया.

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विधि जैन
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Padma Shri Parbati Baruah_First Female Mahout of India

Image - Ravivar Vichar

 

हमारे जीवन में हर 'पहली बार' बहुत मायने रखता है. बच्चे का पहला कदम हो या पहला शब्द, आपकी पहली नौकरी हो या उससे मिली पहली कमाई, पहला घर हो या पहली गाड़ी. हर 'पहला प्रयास' हमें जाने-अनजाने कितनी ही नई कहानियां और नए अनुभव दे जाता है. हम इन अनुभवों को कब मोती दर मोती पिरोते हुए जीवन को एक सुंदर माला में बदल लेते है हमें ही पता नहीं चलता! इस बात का सार यही है कि जीवन जीने के लिए पहल ज़रूरी है क्योंकि हर पहल के साथ आती है नई उम्मीद कुछ अनोखा करने की.

इसी उम्मीद को साथ लेकर आगे बढ़ी Parbati Baruah और बनी भारत की पहली महिला महावत (India's First Female Mahout). उनके सामाजिक कार्य के लिए हाल ही में 75वे गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें Padma Shri पुरस्कार से भी नवाज़ा गया.

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ऐसे हुई हाथियों से दोस्ती

Padma Shri Parbati Baruah (पार्वती बरुआ) का जन्म 1953 में Assam (असम) के Gauripur (गौरीपुर) में हुआ. पार्वती की मुलाकात हाथियों से 1 महीने और 17 दिन की उम्र में हुई थी. पार्वती के पिता एक मार्शल आर्टिस्ट थे. वह अपना ज़्यादातर समय जंगल और नदी के किनारे बिताते थे. बचपन से ही अपने पिता को जानवरों के साथ समय बिताते देख पार्वती ने भी हाथियों को अपना मित्र चुन लिया. 

पिछले पांच दशकों से उन्होंने अपने सारे सुख-दुख उन हाथियों के साथ बांटे है. BBC ने अपनी एक डाक्यूमेंट्री में इन्हें 'Queen of Elephants' की उपाधि भी दी. एक समय ऐसा भी था जब हाथियों को जाल में फंसाने में उनका कोई मुकाबला नहीं था. वह बताती हैं कि हाथी को जाल से पकड़ना, उनकी पीठ पर सवार होना और उनको वश में करने का हुनर उन्होंने अपने पिता से सीखा.

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Wildlife Conservation के लिए मिला Padma Shri

पार्वती हमेशा कहती हैं कि हाथी सबसे बुद्धिमान जीव है. उनका दिमाग इंसानो कि तुलना में कई गुना ज़्यादा तेज़ होता है. वह जंगलों के निर्माता है जिसके लिए उन्हें उचित सम्मान मिलना चाहिए. पार्वती हमेशा ही हाथियों के हित में काम करती रही है. साथ ही हाथी और उनके घर की उन्नति के लिए हर संभव प्रयास करती है. 

उन्होंने कभी किसी हाथी को नुकसान नहीं पहुंचाया. ऐसे उन्हें देश की पहली महिला महावत के रूप में मान्यता मिली. देशभर में उन्होंने Wildlife Conservation (वन्यजीव संरक्षण) का ज़ोर-शोर से प्रचार किया है. उनके इसी सामाजिक कार्य में दिए गए उत्कृष्ट योगदान को देखते हुए 75वे गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें Padma Shri (पद्मश्री) पुरस्कार से भी नवाज़ा गया.

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