कुछ ऐसी fields है जिन्हें पता नहीं क्यों लेकिन male dominant माना जाता है. महिलाओं को इस field में काम करता देखने के आदि नहीं है लोग! क्यों? इसका कोई जवाब नहीं है, बस accept ही नहीं कर पाते कि एक लड़की या महिला भी ये कर सकती है. अगर मैं आपसे भी कहु तो आप भी शायद सोच में पड़ जाए कि शायद हां ये सच है.
तो चलिए आज बात करते है एक लड़की की जिसे इस बार arjuna award मिला. बड़ी बात ये है कि किस field में. यह लड़की भारत कि पहली महिला बनी है जिन्हें asian games 2023 horse riding में gold medal जीतने के लिए arjuna award से सम्मनित किया गया है. यह field अक्सर पुरुष प्रधान समझी जाती है.
Divyakriti singh को मिला arjuna award
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लेकिन आपको बता दे कि भारत को Asian Games 2023 में 41 साल बाद gold medal (gold medal winners in asian games) दिलवाया है राजस्थान कि Divyakriti singh ने. मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने Divyakriti singh को arjuna award देकर सम्मानित किया. Divyakriti singh ने घुड़सवारी में 41 साल बाद Asian Games 2023 में देश को gold medal दिलाया था. इसी कारण से उन्हें arjuna award से नवाज़ा गया है.
Divyakriti singh ने सातवीं class में सीखी horse riding
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Divyakriti singh rajasthan के नागौर जिले के छोटे से गांव पीह की रहने वाली हैं. उन्होंने अजमेर के मेयो स्कूल से घुड़सवारी की शुरुआत की थी, तब वह 7वीं कक्षा में थीं. Delhi university से पढ़ाई करने के दौरान Divyakriti singh ने भारत के अलावा Germany, Netherlands, Austria, Belgium और USA में भी घुड़सवारी की ट्रेनिंग ली है. बेटी और उसके हुनर को आगे बढ़ाने के लिए उनके पिता विक्रम सिंह ने Germany से घोड़ा खरीदकर भी दिया और अपने बेटी के सपने को टूटने नहीं दिया. और तब Divyakriti singh ने अपनी training को पूरा किया.
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Divyakriti singh ने देश में होने वाली कई horse riding प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया है. साल 2020 में वह यूरोप में शिफ्ट हो गईं. Asian Games 2023 में बेहतर प्रदर्शन के लिए Divyakriti singh ने एक साल डेनमार्क और 2 साल जर्मनी में भी ट्रेनिंग ली थी. Divyakriti singh का परिवार जयपुर से है. उनके परिवार में माता-पिता और एक बड़ा भाई हैं. उनके पिता विक्रम सिंह भी sports से ही जुड़े हुए है. वे Jaipur के polo club के member है.
देश में ऐसी महिलाओं और लड़कियों की कोई कमी नहीं है जो देश के नाम को आगे बढ़ाने के लिए सब कर रही है. अगर ये भी कह दिया जाए कि देश के नाम को आगे बढ़ाने कि सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी अब हम महिलाओं के कन्धों पर है तो भी गलत नहीं होगा ! चाहे खेल हो या उद्यम अब महिलाओं को पीछे रखना नामुमकिन हो चुका है और वो दिन भी दूर नहीं जब देश की बागडोर सँभालने में महिलाएं सबसे आगे होंगी.