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डॉ. प्रेमा धनराज (Padma Shri Prema Dhanraj) को हाल ही में Medicine के क्षेत्र में अतुल्य योगदान के लिए भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्मश्री के लिए चुना गया. उन्होंने अब तक 25,000 से भी ज़्यादा burn victims को Reconstructive Surgery से एक नया जीवन दिया है.
प्रेमा धनराज 8 साल की उम्र में रसोई में खेलते वक़्त स्टोव विस्फोट की चपेट में आ गई थी. इस हादसे ने उनके चेहरे, गर्दन और शरीर के अन्य हिस्सों पर गंभीर चोटें दे दीं. यह हादसा उनके उस नए जीवन की शुरुआत थी जिसकी कहानी किसी adventure story से कम नहीं. महज़ 8 साल की उम्र में, गंभीर रूप से जलने की वजह से उनका 50% शरीर चपेट में आ गया था. जहा एक तरफ experts का मानना था कि शरीर का 30% से अधिक जलना संभावित रूप से घातक हो सकता है, वहीं प्रेमा का उन्हें गलत साबित करना किसी चमत्कार से कम नहीं था.
उनकी मां ने भगवान से प्रार्थना की कि अगर प्रेमा ठीक हो जाएगी तो वह खुद को मानवता की सेवा के लिए समर्पित कर देंगी. कई surgeries से गुजरने के बाद वह जीवित रहने में सफल रहीं. आज, अपने जीवन में इतनी गंभीर चुनौतियों ओर मुसीबतों से पूरी हिम्मत से जूझते हुए वह एक प्रमुख बर्न सर्जन (burn surgeon) के रूप में उभरीं.
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बीतते वक़्त के साथ उन्होंने अपने ज़ख्मों को भरते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहने की ठानी. वह South India के एक प्रमुख अस्पताल में Reconstructive and Plastic Surgery Department की Head बन गईं. जिसके फलस्वरूप आज 'प्रेमा धनराज' भारत के शीर्ष प्लास्टिक सर्जनों में एक प्रमुख नाम बन गया. आज वह दुनिया में multiple burn treatment centers की स्थापना के लिए एक सम्मानित consultant मानी जाती हैं. इस क्षेत्र में उन्हें अंतराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं.
1999 में, उन्होंने जले हुए लोगों के लिए rehabilitation center 'अग्नि रक्षा' (Agni Raksha) की स्थापना की. Agni Raksha का उद्देश्य पीड़ित महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है. यहां उन्हें मदद ओर treatment के साथ मेन्टल हेल्थ पर ध्यान देते हुए counselling भी दी जाती हैं. यह उन महिलाओं के लिए ताकत का स्रोत बन जाते हैं जो ऐसे दर्दनाक अनुभवों से गुज़री हैं.
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