मिलेट को फिर से थाली में वापस लाने के लिए तरह-तरह की पहले की जा रही हैं. ऐसी ही पहलों को प्रोत्साहित करने के लिए खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण विभाग परिषद् (The Parliamentary Standing Committee on Food, Consumer Affairs and Public Distribution) द्वारा प्रस्तावना दी गई. केंद्र सरकार को हर जिले में कम से कम एक ऐसी दूकान शुरू करने की सलाह दी जो मिलेट्स और मिलेट्स से बने उत्पादों को बेचे. इन दुकानों को खादी और ग्रामोद्योग आयोग, ट्राइब्स इंडिया, स्वयं सहायता समूह (self help groups) की महिलाओं द्वारा संचालित करने की सलाह दी.
PDS के तहत चावल / गेहूं के साथ मिलेट्स को वितरित करने का दिया सुझाव
यह पहला कदम होगा, जिससे लोगों को एक ही जगह पर मोटे अनाज (exclusive shop for millets) से बने उत्पाद मिल सकेंगे, जिससे ग्राहक को पसंद और ज़रुरत के हिसाब से मिलेट प्रोडक्ट (millet based products) चुनने का मौका मिलेगा. मोटे अनाज (coarse grain) से बने खाद्य उत्पादों की खपत को बढ़ावा देने के लिए यह सिफारिश की गई. यह सिफारिश खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण (2022-23) की 31वीं रिपोर्ट (31st report on Food, Consumer Affairs and Public Distribution (2022-23)) का हिस्सा थी, जिसे लोक सभा (Lok Sabha) में प्रस्तुत किया गया.
रिपोर्ट में सरकार को पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) और दूसरी कल्याण योजनाओं के तहत चावल / गेहूं के साथ मिलेट्स को वितरित करने का सुझाव दिया गया. सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन को भी लागू किया है जो कम उत्पादकता और उच्च संभावना वाले जिलों पर ध्यान देगा जहां मोटे अनाज की खेती की जा रही है.
प्राइमरी प्रोसेसिंग की चुनौती भी होगी दूर
मिलेट्स की खेती में प्राइमरी प्रोसेसिंग (primary processing) सबसे बड़ी चुनौती है. इस समस्या को दूर करने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) ने प्राइमरी प्रोसेसिंग उपकरणों की खरीद के लिए 12 किसान-उत्पादक संगठनों (FPO) का समर्थन किया है। नाबार्ड, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC), स्मॉल फार्मर्स एग्री-बिजनेस संघ (SFAC) और दूसरे राज्य सरकारी एजेंसियों से आर्थिक सहायता मिल रही है.
भारतीय मिलेट्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (IIMR), हैदराबाद ने अब तक 15 आईआईएमआर समर्थित एफपीओ की मदद की है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के FPOs ने प्राइमरी प्रोसेसिंग यूनिट्स खरीदे.
यह ज़रूरी पहल महिलाओं द्वारा चलाए जाने वाले स्वयंसहायता समूहों (SHG) के साथ मिलकर उद्यमिता की दिशा में बड़ा योगदान कर सकता है। यह पहल लोगों को न सिर्फ अपने पसंदीदा अनाज का चयन करने का मौका देगी, बल्कि स्वास्थ्य के लिए उनकी जागरूकता भी बढ़ाएगी.