आपने घर में बड़ों से सुना ही होगा कि "चप्पल सीधे रखो वरना लड़ाई होगी!", "झाड़ू हमेशा छुपा कर रखो नहीं तो लक्ष्मी चली जाएगी!" या फिर "खाली कैंची मत चलाओ नहीं तो लड़ाई हो जाएगी!" society की इन सभी बातों को विचार में डाल देता है आज की practical generation का सिर्फ एक शब्द "क्यों?" आखिर क्यों हमें इन बातों को, बरसों से चले आ रहे इन रीति - रिवाज़ों को बिना कारण जाने मानना पड़ता है? आखिर क्यों हम ऐसे मिथ्यों को अपने जीवन का अटूट हिस्सा बना लेते है? आखिर क्यों?
ऐसे ही जिज्ञासा भरे मन से society के एक बहुत बड़े stereotype 'gender inequality' पर अपने artwork और illustration से सवाल उठाने निकली हैं Pearl D'souza. इस कदम में उनका साथ देने आगे आए Walker & Co. हाल ही में Walker & Co. के साथ मिलकर Pearl D'souza ने अपने artwork 'Walking Towards Acceptance' के ज़रिए सभी के लिए society को एक safe and inclusive space बनाने की आकांक्षा व्यक्त की है.
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बचपन में gender discrimination का किया सामना
Pearl बताती हैं कि बचपन से उन्हें gender discrimination का सामना करना पड़ा. इस मुद्दे में उनकी खास दिलचस्पी होने का कारण भी यही है कि जहां एक तरफ उन्हें कईं जगहों पर जाने से रोका जाता था, वहीं उनके male friends को बिना किसी restrictions के allow कर दिया जाता था. अगर वह जाती भी थी तो उन पर time restrictions होती थी. वह society को ऐसा बनाना चाहती है जहा gender के वजह से discrimination ना हो और हर कोई खुल कर अपनी बात बिना किसी judgement के डर के कह सकें.
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Walkers & Co. के साथ हुआ collaboration
हाल ही में उनका collaboration हुआ Walkers & Co. के साथ. इस collaboration का मकसद था लोगों में gender equality के लिए awareness फैलाना. उनके artwork 'Walking Towards Acceptance' में उन्होनें महिलाओं को एक garden में बैठा दर्शाया है जहां वो खुल कर अपने मन की बात कह रहीं हैं. Walkers & Co. Pearl D'souza के साथ मिलकर एक ऐसा platform बना रहा है जहां महिलाएं खुद के लिए लड़ी लड़ाई celebrate कर सकें. उनका यह मानना है कि India में अभी भी gender equality को अपनाने में बहुत समय है. फिर भी ज़रूरी यह है कि महिलाएं हमेशा change के लिए आगे बढ़ती रहें. सिर्फ आगे बढ़ना ही एक सही कदम है फिर चाहे वो कदम बड़ा हो या छोटा.
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