'राजस्थान का कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए' इस सोच के साथ तैयार की गयी है राजस्थान के हर व्यक्ति के लिए इंदिरा रसोई योजना (Indira rasoi yojana). यह योजना हर व्यक्ति के लिए बहुत महत्वाकांशी योजना साबित हो रही है. राजस्थान के हर व्यक्ति को पेटभर खाना मिले और उसकी जेब पर भी असर ना पड़े. यह सोच है राजस्थान की इंदिरा रसोई के पीछे. यह भोजन सस्ता भी है और इसकी शुद्धता और पौष्टिकता पर कोई असर ना पड़े इसकी भी ज़िम्मेदरी ली है राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने.
क्या है इंदिरा रसोई योजना?
इस रसोई की देखरेख का ज़िम्मा उठाया है स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं और NGOs ने. 800 से ज़्यादा self help groups जुड़े है इस परियोजना से. Rajasthan के CM (Rajasthan CM) अशोक गेहलोत ने 20 अगस्त 2020 से प्रदेश के 213 urban bodies में 358 रसोईयों के माध्यम से इन्दिरा रसोई योजना का शुभारम्भ किया. प्रतिदिन 2.30 लाख व्यक्ति एवं प्रतिवर्ष 9.25 करोड़ लोगो को इस योजना के अंतर्गत SHG महिलाओं के हाथ का शुद्ध खाना मिल रहा है.
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इंदिरा रसोई योजना की शुरुआत कब हुई थी?
इंदिरा रसोई योजना की शुरुआत राजस्थान सरकार द्वारा 'कोई भूखा न सोए के' संकल्प को पूरा करने के लिए शुरू की गई है. इस योजना की शुरुआत 20 अगस्त 2020 को की गई थी. राज्य के सारे शहरों में 358 रसोइयों का संचालन किया जा रहा है.
इंदिरा रसोई का मेन्यू क्या है?
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इंदिरा रसोई के खाने में महिलाएं आपको यह मेन्यू हर दिन बनाकर देती है. उसके अंतर्गत आता है- 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम चपाती एवं आचार. जिला स्तरीय समिति requirements के हिसाब से भोजन के मेन्यू में परिर्वतन किया जा सकता है. यहां सुबह 8:30 बजे से दाेपहर 1 बजे और शाम काे 5 से रात 8 बजे तक भाेजन मुहैया करवाया जाता है.
राजस्थान की इस रसोई से self help group की महिलाएं और उनके परिवार अपनी आजीविका चलाने में समर्थ बन रहे है. मोदी सरकार (Modi Government) ने यह ठान लिया है कि ग्रामीण महिलाओं को आगे बढ़ाने में कोई भी लापरवाही नहीं होंगी. ज़्यादातर राज्यों में इस तरह की रसोइयां चल रही है और देश की महिलाओं के आर्थिक विकास में एक बड़ा कदम बन रहीं है.