जयपुर, राजस्थान (Jaipur Rajasthan) के सीतापुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने सखी सम्मलेन (Sakhi Sammelan) कार्यक्रम में हिस्सा लिया. नेशनल रूरल लाइवलीहुड कौंसिल (राजीविका) (National Rural Livelihood Council) JECC (Jaipur Exhibition And Convention Centre) में इसका आयोजन किया गया. जिसमे स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी हज़ारों महिलाओं ने इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.
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महिला सखियों ने दूनी में शुरू की डेयरी
इस कार्यक्रम में रूरल डेवलपमेंट एंड पंचायती राज डिपार्टमेंट (Rural Development And Panchayati Raj Department) के चीफ सेक्रेटरी अभय कुमार सिंह (Abhay Kumar Singh) ने बताया कि साल 2005 में DPIP (Different Public Infrastructure and Platforms) के रूप में Self Help Groups का काम सिर्फ सात जिलों से शुरू हुआ था. उस समय इस कार्य को शुरू करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद महिला सखियों ने दूनी में डेयरी शुरू की.
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SHG महिलाएं सामूहिक विकास की तरफ बढ़ रहीं आगे
साल 2011 में जो महिलाएं पहले से ही SHG में जुड़ी थी, उन महिलाओं ने CRP (Community Resource Person) के रूप में काम करते हुए उन्नीस जिलों में राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (Rajasthan Rural Livelihood Project, RRLP) के तहत सेल्फ हेल्प ग्रुप्स बनाये. SHG महिलाओं ने अपनी मेहनत और सफल प्रयासों से राजीविका स्थापित की. अभय कुमार ने बताया कि आज राज्य में 44 लाख सखियां सहकारिता आंदोलन से जुड़ी हुई हैं और वह लगाताकर सामूहिक विकास की तरफ आगे बढ़ रही हैं.
फाइनेंशियल इंस्टीटूशन्स SHG महिलाओं को दे रहे बिना कोलैटरल के लोन
अगर हम CLF लोन की बात करें तो लोन रिकवरी राज्य में 99% है. इस लोन रिकवरी को देखते हुए फाइनेंशियल इंस्टीटूशन्स SHG महिलाओं के कामों के लिए उन्हें बिना कोलैटरल (Collateral) के लोन देने के लिए तैयार है. सबसे जरुरी बात यह है कि एक महिला सखी ही दूसरी महिला सखी की रिकवरी के लिए कोलैटरल रिस्क शेयरिंग करतीं हैं.
SHG महिलाओं को जोड़ा जायेगा प्राइवेट पब्लिक कम्युनिटी पार्टनरशिप प्रोग्राम से
राजीविका की सखी एक विश्वास है, राज्य की शक्ति और उन्नति का प्रतिक है. समय-समय पर समूह की मीटिंग, बचत, लोन और आजीविका के रूप में महिला सखी अपने परिवार का आर्थिक सशक्तिकरण करती है. साथ ही अलग-अलग विभागों की योजनाएं जैसे वाटरशेड योजना (Watershed Schemes), गरीबी का सर्वे या मनरेगा के तहत उन्नति योजना हो (Unnati Yojana, MNREGA) को लागु करने में सक्षम है. SHG महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए, नए प्रयासों और योजनाओं की जरुरत है. SHG महिलाओं को Private Public Community Partnership से जोड़कर उनमे काफी बदलाव लाया जा सकता है.
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SHG उत्पादों को मिलेगा नेशनल लेवल प्लेटफार्म
देवीलाल PEDO (ग्रामीण महिला विकास संस्थान) संस्था जो डेयरी, बकरी पालन, जैविक खेती जैसे कामों से महिला किसानों को जोड़ने का प्रयास कर रहे है उनसे हमें सीखना चाहिए. मंजरी फाउंडेशन (Manjari Foundation) ने कटोरी ब्रांड के जरिए SHG महिलाओं के उत्पादों की बिक्री के लिए उन्हें नेशनल लेवल पर प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जायेगा.
राजीविका से हो रहा महिलाओं में आर्थिक सशक्तिकरण
अभय बताते है कि राजीविका (Rajeevika) महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण (Economic Empowerment) का एक ऐसा लोकतंत्र है, जो महिला का, महिला के लिए, और महिलाओं द्वारा संचालित है और महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार करने हेतु तेजी से आगे बढ़ रहा है.