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Image: Ravivar Vichar
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'बोलेगा बिहार' पहल के तहत किए गए एक एंडलाइन सर्वेक्षण से पता चला कि महिलाओं के बीच renewable energy के बारे में जागरूकता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जो नालंदा और गया में 25% से बढ़कर 76% हो गई है.
ग्रामीण बिहार में दीसेंट्रलीज़ेड रिन्यूएबल एनर्जी (DRE) समाधान अपनाने वाली महिलाओं का प्रतिशत बढ़ रहा है, जैसा कि 'बोलेगा बिहार' (Bolega Bihar Initiative) की सर्वे रिपोर्ट से पता चला है, जो राज्य में जमीनी स्तर पर सौर ऊर्जा समाधानों को लागू करने के लिए समर्पित एक पहल है.
यह बढ़ोतरी दर्शाती है कि 50 प्रतिशत ग्रामीण महिला उद्यमियों को DRE समाधानों के बारे में जानकारी है और वे समझती हैं कि इसका उनकी उद्यमशीलता और घरेलू ज़रूरतों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है.
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Image Credits: Inspire Clean Energy
ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को एनर्जी एफिशिएंसी और रिन्यूएबल एनर्जी (energy efficiency and renewable energy) के बारे में बताना ज़रूरी हैं और इसे लोगों तक पहुंचाने की भी ज़रुरत है. 'बोलेगा बिहार' के सौर ऊर्जा से संबंधित कार्यक्रम ऐसा ही करने का प्रयास करते हैं और यही कारण है कि 71 प्रतिशत से ज़्यादा विज़िटर्स अब LED लाइट के लाभों को पहचानते हैं.
लगभग 61 प्रतिशत लोग सौर लैंप/बल्ब के इस्तेमाल के लाभों को जानते हैं, जबकि 11 प्रतिशत सौर खाद्य प्रोसेसर के बारे में जानते हैं. 'बोलेगा बिहार' द्वारा दी गई लीडरशिप ट्रेनिंग ने जागरूकता और ज्ञान से दूरी को कम कर दिया है. सर्वेक्षण में शामिल ज़्यादातर उत्तरदाताओं (61%) ने कहा कि उन्होंने सौर (आरई/डीआरई) उत्पादों पर चर्चा करने में आत्मविश्वास हासिल किया है.
Image Credits: Union of Concerned Scientists
"'बोलेगा बिहार' ने नालंदा और गया में महिलाओं के साथ काम किया, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और जमीनी कार्यक्रमों के ज़रिये हितधारकों के साथ बातचीत कर सौर ऊर्जा अपनाने में उनकी रुचि बढ़ाई.” बोलेगा बिहार की प्रवक्ता दीप्ति ओझा ने बताया.
प्रशिक्षण में 1,200 से ज़्यादा महिलाओं ने हिस्सा लिया, और उन्होंने अपने साथियों को स्वयं सहायता समूहों (self help groups) में शामिल करने और लीडरशिप ट्रेनिंग से मिली सीख साझा करने की अपनी क्षमता का उल्लेख किया.
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Image Credits: ARF - LAB
“सौर सभा में भाग लेने के बाद, अब हम सशक्त महसूस करते हैं और मानते हैं कि हम सौर-संचालित मशीनरी का इस्तेमाल करके सिलाई या मोरिंगा पत्ती और टमाटर के बीज पाउडर के उत्पादन जैसे व्यवसाय शुरू कर सकते हैं." घुटिया, गया की स्वयं सहायता समूह (self help groups) सदस्य ने कहा.
Image Credits: Bolega Bihar/ youtube
2030 तक, भारत में 30 मिलियन महिलाओं के स्वामित्व वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) में लगभग 150 मिलियन लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है. इस तरह की पहल इन उद्यमों को एनर्जी एफिशिएंसी की दिशा में आगे बढ़ने में सक्षम बनायेंगे.