अक्सर लड़कियों को सिलाई सीखने के लिए कहा जाता है. इसी हुनर को अपनी ताकत बना सरला आहूजा ने शुरू किया बिज़नेस वुमन (successful Indian Business Woman) बनने का सफ़र. सरला आहूजा ने (Sarla Ahuja Shahi Exports founder) 1974 में शाही एक्सपोर्ट्स (Shahi Exports) के नाम से अपनी परिधान निर्माता (apparel manufacturing) कंपनी शुरू की (woman entrepreneur). इस कंपनी की शुरुआत घर से हुई (bussiness idea for women). आगे चलकर शाही एक्सपोर्ट्स भारत की सबसे बड़ी अपैरल मैनुफैक्चरर कंपनी बनी (India's largest apparel manufacturer company).
कौन है शाही एक्सपोर्ट्स की फाउंडर सरला आहूजा ?
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मूल रूप से सरला आहूजा पाकिस्तान (Pakistan) के सिंध की रहने वाली थी. विभाजन (partition) के दौरान वह राजस्थान आ गईं. 16 साल की उम्र में शादी होने के बाद सरला ने कई तरह की आर्थिक परेशानियों का सामना किया. घर खर्च में हांथ बटाने के लिए कारखाने में सिलाई मशीन ऑपरेटर (sewing machine operator job) के रूप में काम करने लगी. लेकिन, घर और काम संभालना मुश्किल लगने लगा. एक साल काम कर उन्होंने नौकरी छोड़ घर से शाही एक्सपोर्ट्स की शुरुआत की (shahi exports owner in hindi).
शाही एक्सपोर्ट्स के ग्राहक हैं वॉलमार्ट, गैप इंक, एच एंड एम जैसी ब्रांड्स
आज, शाही एक्सपोर्ट्स (shashi exports pvt ltd) 115,000 कर्मचारियों को रोज़गार दे रहा है. पूरे भारत में करीब 51 कारखाने हैं. करीब 8,244 करोड़ रुपये का राजस्व (Shahi Exports Revenue) मिला. शाही एक्सपोर्ट्स के ग्राहकों में वॉलमार्ट (Walmart), गैप इंक (Gap Inc), एबरक्रॉम्बी एंड फिच (Abercrombie & Fitch), पीवीएच ( PVH), कोहल्स (Kohl’s), एच एंड एम (H&M), टारगेट (Target) जैसे बड़े नाम शामिल हैं.
86 साल की सरला स्वास्थ्य वजहों से 2 साल पहले काम छोड़ने के बाद भी कंपनी के विकास की ख़बर रख रही हैं. उनके पोते अनंत आहूजा (Anant Ahuja) कपनी को संभाल रहे है. अनंत कार्यबल में ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं (women workforce Shahi Exports) को जोड़, अपनी दादी का महिलाओ को सशक्त बनाने का सपना पूरा कर रहे है.
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पानी को रीसायकल (water recycling) कर, खतरनाक रसायनों (chemicals) का इस्तेमाल न करके, और 68% रिन्यूएबल एनर्जी (renewable energy) का इस्तमाल कर यह स्टार्टअप सस्टेनेबिलिटी (sustainable startup) का भी ध्यान रख रहा है.
सरला ने समझी आर्थिक आज़ादी की ताकत
अपने अनुभव से सरला ने समझा कि महिलाओं के सशक्तिकरण (women empowerment) के लिए उनकी आर्थिक आज़ादी (financial fredom) अहम है. सरला ने अपनी आस-पास की महिलाओं को तुरपाई और सिलाई सीखने में मदद की.10 महिला कर्मचारियों के साथ हुई कंपनी की शुरुआत में आज 70 फीसदी से ज्यादा महिलाएं हैं.
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इन महिला कर्मचारियों को फाइनेंशियल लिट्रेसी (financial literacy), कम्युनिकेशन स्किल्स (communication skills), टाइम मैनेजमेंट (time management), प्रॉब्लम सॉल्विंग (problem solving) और डिसिशन मेकिंग (decision making) जैसी सॉफ्ट स्किल्स (soft skills) भी सिखाई जाती है. सरला ने महिला-अनुकूल कार्यस्थल (Women-Friendly workplace) की नींव रखी. उन्होंने परेशानियों से उभरने के लिए सशक्तिकरण का रास्ता अपनाया, और आज वह दूसरी महिलाओं को भी उसी रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित कर रही है.