देशभर में स्वयं सहायता समूह (self help group) स्मॉल क्रेडिट (small credit) के ज़रिये आर्थिक क्रांति (financial revolution) की अगुवाई कर रहे हैं. अर्थव्यवस्था (economy) को मज़बूती देने के लिए महिलाओं के इन समूहों की ज़रुरत को पहचाना जा रहा है.
नकद की जगह बैंक ट्रांसफर के लिए किया प्रोत्साहित
सिक्किम (Sikkim) सरकार के कैबिनेट सचिव और प्रधान मुख्य निवेश सलाहकार G.P. उपाधयाय (G.P. Upadhayay, Cabinet Secretary & Principal Chief Investment Advisor for the Government of Sikkim) ने हाल ही में गोवा (Goa) में आयोजित चौथे एलेट्स बीएफएसआई गेमचेंजर शिखर सम्मेलन (4th Elets BFSI Gamechanger Summit) में बात की. उन्होंने भारत में बैंकिंग (banking) और वित्तीय समावेशन (financial inclusion) के अपने अनुभवों के बारे में बात करते हुए कहा नवाचार (innovation) के ज़रिये आम नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है.
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उपाध्याय (G.P. Upadhayay) ने अपने शुरुआती करियर के दौरान परिवर्तनकारी पहल के बारे में भी बताया. करीब 300 लोगों को भूमि मुआवजे के रूप में बड़ी राशि वितरित की जानी थी, नकद में पैसा देने के बजाय, जैसा कि उस समय किया जाता था, उन्होंने प्राप्तकर्ताओं को बैंक खाते खोलने (bank accounts) और वहां पैसा जमा करने के लिए राज़ी किया.
इस पहल ने न सिर्फ वित्तीय समावेशन (financial inclusion) को बढ़ावा दिया, बल्कि प्राप्तकर्ताओं के बीच बचत (savings) की आदत को भी प्रोत्साहित किया. टेक्नोलॉजी (technology) के बढ़ते इस्तेमाल के साथ उन्होंने प्रौद्योगिकी से जुड़े खतरों (threats related to technology), जैसे डेटा सुरक्षा (data safety) और धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्क रहने की सलाह दी.
डिजिटलीकरण से बढ़ी ट्रांसपेरेंसी
पहले जहां वेतन नकद में वितरित किया जाता था, आज सीधे बैंक खातों में जमा किया जा रहा है. बैंकिंग सेवाओं (banking services) के डिजिटलीकरण (digitalisation) के ज़रिये सरकारी योजनाओं (government schemes) को लागू करने में ट्रांसपेरेंसी (transparency) बढ़ी. कई सरकारी योजनाओं के तहत सार्वजनिक धन को छात्रवृत्ति, सब्सिडी और दूसरी तरह की सहायता के रूप में आसानी से वितरित किया गया. बैंक खातों को आधार से लिंक (bank account linking with Aadhar) करवाने के बाद रिसाव और धोखाधड़ी के मामलों में भी कमी आई.
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उपाध्याय ने ऋण प्रदान करने में महिला स्वयं सहायता समूहों (women self help group) की भूमिका के बारे में भी बात की. उन्होंने अमरजीत सिन्हा (Mr. Amarjit Sinha) के एक लेख का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि पिछले 10 सालों में, देश में 90 हज़ार स्वयं सहायता समूहों (SHG) ने लगभग 6.5 लाख करोड़ का ऋण (SHG loan) लिया, जिसमें NPA प्रतिशत दो प्रतिशत से भी कम है. उन्होंने इन समूहों पर भरोसा करने की ज़रुरत पर जोर दिया, क्योंकि उनके द्वारा लिया क़र्ज़ समय पर वापिस किया गया.
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छात्रों को साइबर सुरक्षा के बारे में बताना ज़रूरी
G.P. उपाधयाय ने ऑनलाइन सेफ्टी (online safety rules in Hindi) पर बात करते हुए बताया कि तकनीक को बढ़ावा देने के साथ, सरकार सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के लिए भी काम कर रही है, और ग्राहक मौजूदा आईटी अधिनियम (IT Act) के बेहतर होने की उम्मीद कर सकते हैं.
कैबिनेट सचिव उपाध्याय (G.P. Upadhayay) ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों (financial institutions) से स्कूलों में वित्तीय साक्षरता (need for financial literacy sessions in school) सत्र आयोजित करने का भी अनुरोध किया. उनका मानना है कि छात्रों को बैंकिंग सेवाओं, अर्थव्यवस्था में बैंकों की भूमिका (Role of banks in the economy) और बीमा (Insurance) के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए. उन्होंने छात्रों को साइबर सुरक्षा (cyber safety) और धोखाधड़ी (cyber fraud) की संभावना के बारे में पढ़ाने पर भी जोर दिया.
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अर्थव्यवस्था (economy) को मज़बूत बनाने और देश को प्रगति की राह पर ले जाने के लिए वंचित समुदायों में वित्तीय साक्षरता (financial literacy) फैलानी होगी. इस दिशा में स्वयं सहायता समूह (SHG women) की महिलाएं उल्लेखनीय काम कर रही हैं, जो खुद अपने उद्यम शुरू कर अपने इलाके की इकॉनमी में योगदान दे रही हैं, और साथ ही समुदाय के लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने का काम भी कर रही हैं.