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Image Credits: Down to earth (Image for Representation Purpose Only)
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सुबह की पहली चाय, जब तक ना मिले दिन की शुरुआत अधूरी सी लगती है. भारत के हर घर में जब तक चाय छनने की आवाज कानों में ना पड़े तब तक काम करने का मन ही नहीं होता किसी का. छत्तीसगढ़ के जशपुर नगर जिले में चाय बागान योजना के पहले चरण की सफलता के बाद अब जिला प्रशासन इसका विस्तार करने जा रहा है. इसके तहत अब मनोरा और बगीचा ब्लॉक में 95 एकड़ में चाय बागान का विस्तार किया जाएगा.
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इन दोनों ब्लॉकों के 72 किसानों ने अपनी जमीन पर चाय बागान विकसित करने की सहमति दी थी. चयनित भूमि पर चाय के पौधों के लिए छायादार प्रजाति के वृक्ष लगाने के बाद इन दिनों चाय के पौधे लगाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है.
जानकारी के लिए बता दें कि जिले में चाय बागान की शुरुआत वर्ष 2007 में मनोरा ब्लॉक के सोगरा से हुई थी. यहां सर्वेश्वरी आश्रम के अघोरेश्वर संभव रामजी के मार्गदर्शन में असम से चाय के पौधे लाकर आश्रम परिसर में लगाए गए. अंतरराष्ट्रीय चाय विशेषज्ञ आईडी सिंह की देखरेख में सोगड़ा चाय बागान की सफलता जल्द ही देश और राज्य में सुर्खियां बनने लगी.
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जिले में तेजी से बढ़ रहे चाय बागान के कारण अब जिले में चाय पर्यटन की संभावना भी तेजी से बढ़ रही है. सोगरा और सारूडीह स्थित चाय बागानों को देखने के लिए ओडिशा, झारखंड और दूसरे राज्यों से भी पर्यटक पहुंचने लगे हैं. चाय बागान की देखभाल करने के लिए स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं को आगे लाया जा रहा है. उद्यान क्षेत्र के पठारी क्षेत्र में किये जा रहे चाय बागान के विस्तार से आने वाले दिनों में चाय पर्यटन की संभावना और बढ़ने की उम्मीद है. Self Help Group की महिलाओं को इन बागानों की देखभाल करने से अपनी जीविका तैयार करने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी.