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Image Credits: Ravivar Vichar
कभी-कभी इतिहास मैदान में नहीं, ट्रिगर दबाने से बनता है. जब दुनिया की निगाहें फ्रांस, चीन और कोरिया जैसे शूटर देशों पर थीं, तब हरियाणा की एक लड़की, चुपचाप अपनी तीन वर्ल्ड कप गोल्ड जीतने की योजना बना रही थी. ये कहानी है Suruchi Phogat की – जो आज सिर्फ gold medal नहीं जीत रही, बल्कि हर उस लड़की के सपनों को आवाज़ दे रही है जिसे कभी कहा गया था, "शूटिंग लड़कों का खेल है."
Suruchi Phogat ने ISSF world cup में 10 मीटर एयर पिस्टल में Hat-trick Gold जीता
हरियाणा की 19 वर्षीय सुरुचि फोगाट ने म्यूनिख में हुए ISSF वर्ल्ड कप में एक ऐसा इतिहास रच दिया है जो भारतीय निशानेबाजी की नई परिभाषा बन सकता है. महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में उन्होंने लगातार तीसरी बार गोल्ड मेडल जीतकर वर्ल्ड कप गोल्ड हैट्रिक पूरी की – और ऐसा करने वाली वो पहली भारतीय महिला निशानेबाज बन गई हैं.
आखिरी दो शॉट्स में खेला दांव, और जीत ली बाज़ी
फाइनल राउंड में फ्रांस की ओलंपिक सिल्वर मेडलिस्ट कैमिली जेद्रजेवस्की के खिलाफ मुकाबला बेहद रोमांचक था. जब आखिरी दो शॉट बचे थे, सुरुचि 0.5 अंक पीछे थीं. लेकिन उन्होंने दिखाया असली जज़्बा – 10.5 और फिर निर्णायक 10.6 स्कोर करते हुए कुल 241.9 अंक के साथ गोल्ड अपने नाम किया. कैमिली का स्कोर था 241.7 – बस 0.2 अंकों का अंतर, लेकिन सुनहरी जीत हमारे देश की.
Manu Bhaker की जगह भर रही है नई स्टार
इस जीत के साथ सुरुचि ने ब्यूनस आयर्स और लीमा में पहले जीते गए वर्ल्ड कप गोल्ड्स के साथ अपनी तिकड़ी पूरी की है. जहां एक ओर मैनु भाकर क्वालिफिकेशन में पिछड़ गईं, वहीं सुरुचि ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारत की नई स्टार आ चुकी है – ठहर कर, समझदारी से, और दमदार प्रहार के साथ.
“थक गई थी, लेकिन खुद को संभाल लिया”
जीत के बाद सुरुचि ने कहा, “ये मेरी सबसे कठिन फाइनल्स में से एक था. बीच में थकान हो गई थी, लेकिन ट्रिगर कंट्रोल बदला और फोकस किया.” उनके कोच सुरेश सिंह ने कहा, “इस जीत ने सुरुचि की मानसिक मजबूती को साबित कर दिया है. वो सिर्फ खिलाड़ी नहीं, एक फाइटर है.”
उपलब्धि जो देश को गौरवान्वित करती है:
लगातार तीन वर्ल्ड कप गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली महिला शूटर
इस स्पर्धा में उन्होंने क्वालिफिकेशन स्कोर 588 किया – जो एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड के बराबर है
भारत की ओर से अब मिक्स्ड टीम इवेंट में भी उतरेंगी सुरुचि, साथी खिलाड़ी वरुण तोमर के साथ
हमारे लिए क्या मायने रखती है ये जीत?
यह केवल एक मेडल नहीं, यह भारतीय महिलाओं की नई लहर है जो खेल के मैदान में आत्मविश्वास और सफलता की मिसाल बन रही है. जब देश के युवा, खासकर लड़कियां, ऐसे उदाहरण देखेंगी तो हर घर में एक 'सुरुचि' पनपेगी और यह संदेश भी जाएगा कि अगर जज़्बा हो, तो उम्र नहीं अनुभव बोलता है!सुरुचि फोगाट सिर्फ निशाना नहीं साध रही, वह हर उस सोच पर प्रहार कर रही है जो कहती है – लड़की कुछ बड़ा नहीं कर सकती. ये सिर्फ ट्रिपल गोल्ड मैडल नहीं, ये उम्मीदों का झंडा है – और अब वो आसमान में लहरा रहा है.