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Image Credits : The Economic Times
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) के बाद, राज्य अंतरराष्ट्रीय कृषि सम्मेलन में सम्मिलित होने की तैयारी कर रहा है. सम्मेलन का नाम 'कृषि कुम्भ' (Krishi Kumbh) रखा गया है. जिसमे कृषि से जुड़े सारे पहलु जैसे मॉडर्न खेती के मूल्य श्रृंखला, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, कृषि अनुसंधान और भी अन्य पहलुओं को शामिल किया जायेगा.
सम्मेलन में गौ-आधारित जैविक खेती (cow-based organic farming), मोटा अनाज और बाजरे की खेती के अलग-अलग तरीके बताये जायेंगे. जिससे पैदावार अधिक होने के साथ किसानों को मुनाफा होगा. राज्य मिलेट आउटलेट्स का शुभारंभ और बाजरे के फसल क्षेत्र को 2.5 मिलियन हेक्टेयर तक बढ़ाने की योजना बना रहा है. इसमें महिला उद्यमियों और महिला स्वयं सहायता समूह (women self help groups) को शामिल किया जायेगा.
सम्मलेन में कृषि, डेयरी, मत्स्यपालन, मधुमक्खी पालन और खेती के उपकरण, आय को दोगुना करने, आधुनिक खेती के तकनीकों को अपनाने, पश्च-फसल प्रबंधन, और खाद्य प्रसंस्करण जैसे विषयों को भी शामिल किया जायेगा.
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विकसित हो चुकी और विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं जैसे इजरायल, पोलैंड, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, यूएसए, दक्षिण कोरिया, और फिलीपींस के साथ GIS के फॉर्मेट में मिलकर काम करने की योजना बना रहा है, जिसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि कुम्भ 2.0 (Krishi Kumbh 2.0) के लिए इन देशों के दूतावासों और उच्च आयोगों के साथ समन्वय करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए है.
राज्य में पहली बार कृषि कुम्भ का आयोजन अक्टूबर 2018 में लखनऊ में हुआ था. कृषि कुम्भ 2.0 का आयोजन दिसंबर 2023 में होने की संभावना है. उत्तर प्रदेश में लगभग 17 मिलियन हेक्टेयर कृषि क्षेत्र है और सर्वश्रेष्ठ कृषि उत्पादकों में से एक है, जिसमें गेहूं (35 %) और धान (12 %) मुख्य फसलें है. मिलेट और तिलहनी फसलों के उत्पादन को बढ़ाया जायेगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) समीक्षा बैठक में टिप्पणी की "कृषि कुम्भ 2.0 का मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पादन और किसान आय को बढ़ावा देना है. सम्मेलन को उत्तर प्रदेश को वन डॉलर ट्रिलियन इकॉनमी बनाने के लिए कृषि और उससे सम्बंधित क्षेत्रों के योगदान को बढ़ाने पर भी चर्चा करनी चाहिए."
वित्तीय वर्ष 2023 - 2024 में एपेक्स फार्म सेक्टर ने नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट को ग्रामीण लोन संभावना का आकलन कर 3.75 लाख करोड़ रुपये सैंक्शन किये थे.