गेंदे की खेती से आ रही सशक्तिकरण की खुशबू

SHG महिलाओं ने केरल के तिरुवनंतपुरम में बंजर ज़मीन पर गेंदे की खेती कर, उसे उपजाऊ और  सुन्दर बनाया है. इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिल रहा है.

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हेमा वाजपेयी
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Image Credits : Smithsonian Photo Contest - Smithsonian Magazine

ओणम का त्योहार (onam festival) न केवल खुशियों और आनंद से भरपूर है, बल्कि सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की महिलाओं के लिए सपने पूरे करने का जरिया भी है. इस महोत्सव ने SHG महिलाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के साथ कौशल को निखारने का भी मौका दिया है, जिसे अब तक सिर्फ घर के कामों में ही उपयोग कर रहीं थी. 

SHG महिलाएं बंजर ज़मीन पर कर रहीं फूलों की खेती 

SHG महिलाओं ने केरल (Kerala) के तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) में बंजर ज़मीन पर गेंदे की खेती (Marigold flower feild in India) कर, उपजाऊ और सुन्दर बनाया है. इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिल रहा है. राजधानी से दूर बसे कट्टाकड़ा में साठ एकड़ से अधिक बंजर ज़मीन को ओणम (Onam) उत्सव के लिए गेंदे के फूलों से भर दिया गया, इससे क्षेत्र की सुंदरता और बढ़ गई है. ओणम के समय केरल को फूलों के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता था, वह निर्भरता भी अब खत्म हो गई है. 

marigold flower

Image Credits : Travel Beats

एमएलए आईबी सतीश ने की ' हमारा ओणम, हमारा फूल ' की शुरुआत

' हमारा ओणम, हमारा फूल ' (Our Onam Our Flower story) पहल की शुरुआत कट्टाकड़ा एमएलए आईबी सतीश (MLA IB Satish) ने की. लोकल सेल्फ गवर्नमेंट (Local Self Government) और महिला स्वयं सहायता समूह (Women SHGs) ने इसे आगे बढ़ाया. इस पहल का उद्देश्य त्योहारों के समय केरल में फूलों की मांग को पूरा करना है. 

ओणम के दस दिनों के त्योहार में लगभग 400 टन फूल पड़ोसी राज्य गुंदलुपेट (Gundlupete), थोवई (Thowai), त्रिची (Trichy), और सुंदरपंडियापुरम (Sundarapandiyapura) से आते थे. साल 2020 में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (CM Pinarai Vijayan) ने COVID-19 के दौरान इसपर रोक लगाई थी, जिसका काफी विरोध भी हुआ था. 

25 एकड़ बंजर ज़मीन को बगीचों में बदला गया 

पिछले साल भी ' Our Onam Our Flower ' पहल के अंतर्गत कट्टाकड़ा (Kattakada) में दस एकड़ और पल्लीचल गांव में पच्चीस एकड़ बंजर ज़मीन को बगीचों में बदल दिया गया था. 40 साल से यह क्षेत्र बंजर पड़ा था, केवल कुछ हिस्से को वन भूमि के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था. बंजर ज़मीन को फिर से उपयोग में लाने के लिए राज्य सरकार की योजना के अंतर्गत इस पहल की शुरुआत की गई.  

gende ki kheti

Image Credits : The Himalayan Times

मनरेगा (MNREGA) के तहत शुरू की गई इस योजना में पंचायत सदस्यों और कृषि विभाग द्वारा सेल्फ हेल्प ग्रुप्स (self help groups) की महिलाओं को पौधे उपलब्ध कराये गए और कुदुंबश्री जेएलजी (Joint Liability Group, JLG) के सदस्यों ने मैनेज किया. यह उपलब्धि सामूहिक समर्थन का नतीजा थी. 

फूलों की खेती में चुनौतियों को किया दूर

कट्टापड़ा में फूलों की खेती के सफल प्रयासों को देखते हुए, इस साल जून में एरकुलम जिले के चेरानल्लूर और इडापल्ली ग्राम पंचायत में भी शुरुआत की गई. बदलते मौसम, तेज बारिश और ज्यादा गर्मीं के चलते पानी की कमी होने के कारण फूलों की खेती करना चुनौती भरा काम है. लेकिन हार न मानते हुए फूलों की खेती (flowers of onam) की जा रही है.  

onam

Image Credits : Freepik.com

' ओनाथिनू ओरू मुरम पचकारी ' की शुरुआत 

कुछ समय पहले केरल में एक और पहल ' ओनाथिनू ओरू मुरम पचकारी ' (सब्जियों की एक टोकरी) (Onathinu Oru Muram Pachakari) शुरू की गई, जो आज ओणम फेस्टिवल (Onam 2023) के दौरान सब्जियों की जरूरतों को पूरा कर रहा है. यह जैविक सब्जियां (organic vegetables) घर के बगीचों में ही उगाई जा रहीं हैं.

ओणम फेस्टिवल (onam celebration) ने सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं (SHG Womens) के जीवन में नई रोशनी डाली है, नए सपनें जगाए है, और उन्हें नई दिशा में बढ़ने का रास्ता दिखाया है. अब महिला SHG अपने कौशल का इस्तेमाल कर समृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ रहीं हैं. 

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