शामली, (Shamli) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के किसानों की खेती में मदद करने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाएं (Women SHG) जैविक खाद (organic fertilizer) से गन्ने के बीज (sugarcane seeds) तैयार कर रही हैं. SHG महिलाओं के सफल प्रयास से किसानों को सेहतमंद और रोगमुक्त गन्ने के पौधे उपलब्ध होने से उनकी आमदनी में भी इजाफा हो रहा है.
नर्सरी में SHGs ने तैयार किए दो लाख पौधे
किशोरपुर गांव के सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी सुमन और अन्य सदस्य आज और भी महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. यह समूह चार सालों से नर्सरी में जैविक गन्ने के पौधे तैयार कर रहा है. हर साल लगभग दो लाख पौधे तैयार कर मुजफ्फरनगर के किसानों को भेजती हैं. कृषि विभाग (Agriculture Department) द्वारा Self Help Groups की महिलाओं को सम्मानित भी किया गया.
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NRLM से जुड़कर महिलाएं ले रहीं ट्रेनिंग
सुमन बताती है कि "सात साल से वह दस बीघा ज़मीन पर खेती कर रही थी. चार साल पहले गणना विभाग के सुपरवाइजर ने उन्हें जैविक खाद से गन्ने की खाद तैयार करने की सलाह दी. एनआरएलएम (NRLM)से जुड़कर ट्रेनिंग ली. ट्रायल के तौर पर अपने ही खेत में 13,235 गन्ने की किस्म के बीज लगाए. सफल परिणाम को देखकर बीस महिलाओं को समूह से जोड़ा."
बड चिप मेथड क्या है?
बड चिप मेथड (bud chip method) में गन्ने के बड (Sugarcane bud) को बड चिप मशीन (bud chip machine) से हटाया जाता है. गन्ने को ट्रीट कर वर्मी कम्पोस्ट (Vermi Compost) और कोकोपिट (Cocopit) से भरी प्लास्टिक ट्रे में रखा जाता है. इन दोनों की उपलब्धता न होने पर सड़ी हुई पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है. ट्रे में बड की बुवाई कर उसे समय समय पर फव्वारे से हलकी सिंचाई की जाती है.
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फिर उन्हें सावधानीपूर्वक निकाल कर खेतों में पौधरोपण किया जाता है. इस तकनीक से किसान गन्ने के बीच में दलहनी, तिलहनी, सब्जी और नगदी फसलों को आसानी से लगाकर आमदनी में बढ़ोतरी कर रहे हैं.
इस प्रयास के ज़रिये महिला स्वयं सहायता समूह (Women self help groups) न केवल खुद को सशक्त कर रही हैं, बल्कि उन्होंने किसान समुदाय को भी साझा लाभ दिलाया. ऐसे ही और प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के साथ SHG महिलाओं को एक नई दिशा मिल सकती है और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सकता है.