देश में महिलाओं को आगे बढ़ाने के साथ प्राकृतिक और जैविक खेती को आगे बढ़ाने के लिए सरकार बहुत तेजी से काम आगे बढ़ा रही है. DAY-NRLM के तहत महिलाओं से जुड़ी बहुत सी पहलों को देश में हर सरकार आगे बढ़ाने की पहल कर रही है. इन दोनों missions को जोड़ कर देश में organic farming को लेकर क्रांति सी छिड़ गयी है.
कृषि सखियाँ सिखाएंगी जैविक खेती के तरीके
इसी पहल में एक और कदम बनते हुए उत्तरप्रदेश लखनऊ (Uttar Pradesh news) में जीविका मिशन (JEEVIKA mission) के तहत ग्रामीण इलाकों में सक्रिय कृषि सखी अब गांव की महिलाओं को प्राकृतिक खेती के तौर तरीके सिखाएंगी. किसानों के घरों में पलने वाली गायों के गोमूत्र व गोबर से इन महिलाओं को जीवामृत व पण जीवामृत बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. कृषि सखी सप्ताह में तीन दिन इन ग्रामीण महिलाओं के साथ ही यहाँ के महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) में भी काम करेंगी.
Image Credits: Village Square
यह जानकारी कृषि विभाग में प्राकृतिक खेती और नमामि गंगे परियोजना के राज्य सलाहकार डा. सीपी श्रीवास्तव ने दी है. उन्होंने बताया कि, "पिछले दिनों नई दिल्ली में हुई एक बैठक में नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) के अधिकारियों के साथ इस विषय पर डिटेल में चर्चा हुई है. यूरिया की जगह गोमूत्र व गोबर से बने जीवामृत और घण जीवामृत के काफी बेहतर results सामने आ रहे हैं."
स्वयं सहायता समूह की महिलाएं करेंगी मदद
डा. सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि महिला self help group की मदद से प्राकृतिक खेती के बारे में और ज्यादा बड़े दायरे में लोगों को बताना आसान होगा. इस वक्त प्रदेश में गंगा नदी के दोनों किनारों के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी गांवों में नमामि गंगे के तहत प्राकृतिक खेती (Organic Farming UP) को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिलों कि इस संख्या को अभी और बढ़ाया जाएगा. इन जिलों में फसलों में रसायनों का प्रयोग वर्जित करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा के रहा है. PM PRANAM योजना (Promotion of Alternate Nutrients for Agriculture Management Yojana) के तहत रसायन मुक्त खेती के अभियान से किसानों को बड़ी संख्या में भी जोड़ा जा रहा है.
Image Credits: Village Square
सरकार महिलाओं को इस पहल से जोड़ने से दो फायदों को निश्चित करने की सोच रखती है- महिलाओं का विकास और खेती में रसायन का कम से कम प्रयोग और जिस गति से काम चल रहा है, देश में इन दोनों प्रार्थमिक विचारों का प्रमाण आने में समय भी नहीं लगेगा.