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Image: Ravivar vichar
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स्कूल-कॉलेज में कई पुरस्कार जीते होंगे, पर ये अनोखा पुरस्कार किसी प्रतियोगिता के लिए नहीं, महिला सशक्तिकरण (women empowerment) की दौड़ में आगे निकलने के लिए है.
महाराष्ट्र के गांवों में महिला सशक्तिकरण (women empowerment initiatives in maharashtra) को बढ़ावा देने वाली पहलों को लागू किया जा रहा है. बाल कुपोषण और बाल विवाह के खिलाफ नागरिकों के सामूहिक प्रयास के लिए पुरस्कार दिया जाएगा. राज्य सरकार जल्द ही आदिशक्ति योजना (Adishakti yojana) शुरू करेगी जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए गांवों के बीच प्रतियोगिता करवाएगी.
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राज्य सरकार की दो सबसे लोकप्रिय योजनाओं- संत गाडगे बाबा ग्राम स्वच्छता अभियान और महात्मा गांधी तंता मुक्ति अभियान (ग्राम-स्तरीय झगड़े को समाप्त करने के लिए एक अभियान) से प्रेरणा लेते हुए, महिला और बाल कल्याण विभाग राज्य सरकार ने आदिशक्ति योजना को लागू करने का लक्ष्य बनाया है. इस योजना के तहत हर गांव को 10 से 11 मापदंडों पर आंका जाएगा.
महिला एवं बाल कल्याण विभाग के अधिकारी ने कहा, "मापदंडों में गांव में महिलाओं के खिलाफ कोई हिंसा नहीं होना, बाल विवाह का कोई मामला नहीं होना, बाल कुपोषण पर प्रभावी उपाय लागू करना, महिला स्वयं सहायता समूहों का प्रभावी कामकाज (women self help groups in Maharashtra)और महिलाओं के लिए रोजगार सृजन शामिल हैं."
आदिशक्ति योजना के तहत, हर गांव को दिए गए मानदंड पर उसके प्रदर्शन के आधार पर 10 में से अंक दिए जाएंगे. उनके प्रदर्शन के आधार पर, उच्चतम अंक वाले गांवों को रैंक दिया जाएगा और उन्हें मौद्रिक पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
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पुरस्कार 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक होंगे. गांवों की नंबरिंग जिला स्तर पर, फिर मंडल स्तर पर और बाद में राज्य स्तर पर की जाएगी. इस योजना के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराधों की कम रिपोर्टिंग से बचने के लिए जांच और जवाबी जांच का एक तंत्र भी शामिल किया जायेगा.
“आदिशक्ति योजना का उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर सामूहिक प्रयासों के ज़रिये जमीनी स्तर पर महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को पूरा करना है. उम्मीद है कि गांव एक इकाई के रूप में इस प्रतियोगिता में भाग लेगा और महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण की दिशा में काम करेगा,” अधिकारी ने कहा.
इस तरह की योजना न सिर्फ महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर विराम लगाएगी, पर समुदाय को इस विषय पर जागरूक कर, बेहतर समाज बनाने में सामुदायिक भागीदारी को भी प्रेरित करेगी.
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