स्वयं सहायता समूह बना रहे पिंपरी-चिंचवड़ को Zero-Waste Village

'Zero waste city' बनने और सतत विकास को बढ़ावा देने की दिशा में, पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम (PCMC) ने 100% waste segregation और recycling के लिए बस्तियों से स्थानीय स्वयं सहायता समूहों को शामिल करने का निर्णय लिया है.

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रिसिका जोशी
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zero waste cities in india

Image- Ravivar Vichar

देश को स्वच्छ बनाने के लिए सरकार का हर प्रयास कामियाब होता दिख रहा है. Zero waste cities की बात हो, या स्वछता में सबसे ऊपर रहने की, भारत की जनता हर काम में आगे आकर सरकार की पूरी मदद कर रही है. एक ऐसा ही शहर अपनी महिलाओं को लेकर तैयार हो गया है zero waste city बनाने के लिए.

Maharashtra की twin city SHGs की मदद से बनेगी Zero Waste City

'Zero waste city' बनने और सतत विकास को बढ़ावा देने की दिशा में, (Maharashtra twin city) पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम (PCMC) ने 100% waste segregation और recycling (recycling plants maharastra) के लिए बस्तियों से स्थानीय स्वयं सहायता समूहों (maharashtra self help groups) को शामिल करने का निर्णय लिया है. SHG की महिलाएं पूरे कचरे को अलग कर कंपोस्टिंग और रीसाइक्लिंग की सुविधा प्रदान करेंगे.

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Image Credits: Business indsider india

दोनों शहरों में उत्पन्न 95% से अधिक कचरे को अलग किया जाता है, लेकिन फिर भी PCMC स्लम क्षेत्रों में कचरे को अलग करने की चुनौती का सामना करना पड़ा. इस चुनौती से निपटने के लिए, PCMC ने अपने 'जीरो वेस्ट सिटी' प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में, पिछले साल पायलट आधार पर गवली मठ मलिन बस्तियों में SHGs की मदद से कचरे को अलग करना शुरू किया. स्थानीय self help groups (SHGs in maharashtra) को नियुक्त किया गया और उन्हें 100% waste segregation और recycling का काम सौंपा गया.

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PMC के आयुक्त शेखर सिंह ने कहा, “मलिन बस्तियों में अपशिष्ट पृथक्करण एक चुनौती थी जिसके कारण स्थानीय एसएचजी शामिल किए गए. इसका परिणाम अच्छा निकला और इसीलिए हमने इसे अन्य सात मलिन बस्तियों और बाद में सभी 72 मलिन बस्तियों में planning के साथ विस्तारित करने का निर्णय लिया."

सी ज़ोन के सहायक आयुक्त, अन्ना बोडाडे ने कहा, “यह देश की पहली झुग्गी बस्ती है जिसने 100% waste segregation और recycling किया है. एसएचजी स्थानीय क्षेत्र से शामिल थे और इससे सुचारू प्रसंस्करण में मदद मिली. यह परियोजना पिछले साल अगस्त में शुरू की गई थी और यह सफल रही है. स्वयं सहायता समूह समुदाय में waste segregation के बारे में जागरूकता campaigns भी चलाते हैं. उन्हें PCMC द्वारा खादित कचरे के लिए भुगतान मिलता है. गवली मठ में प्रतिदिन लगभग 637 किलोग्राम कचरा उत्पन्न होता है और पूरे कचरे का पुनर्चक्रण किया जाता है.

देश को स्वच्छ रखने और आगे बढ़ने की ज़िम्मेदारी सरकार ने महिलाओं को देकर बहुत अच्छा काम किया है. अपने घर को जिस प्रकार स्वच्छ रखती है ये महिलाएं देश को भी उसी तरह साफ़ रखने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

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