समुदायों के समग्र विकास के लिए फाइनेंशियल लिट्रेसी (financial literacy) अहम भूमिका निभाती है. इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए धान फाउंडेशन (DHAN Foundation) ने 11वें मदुरई सिम्पोज़ियम (Madurai Symposium) का आयोजन किया. समुदाय विकास (community development) को बढ़ावा देने के माध्यमों पर बातचीत की गई.
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SHG दे रहे सामाजिक परिवर्तन को गति
DHAN फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक एम.पी. वसिमलई ने सम्मेलन में ग्रामीण समुदायों की वित्तीय जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए समुदायिक साक्षरता केंद्रों की स्थापना की जरूरत पर बात की ताकि मानव संसाधनों का सही उपयोग किया जा सके. इसके साथ ही, महिलाओं के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया.
इस सम्मेलन में कम्युनिटी कंट्रीब्यूशन को प्रोत्साहित किया गया, जिससे स्थानीय समुदायों के उत्पादन, वितरण, और प्रबंधन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिल सके.
जल संरक्षण को कुड़िमारमाथु से मिलेगा बढ़ावा
प्राचीन जल प्रबंधन प्रथा कुड़िमारमाथु (Ancient Water Management technique Kudimarmathu) को बढ़ावा देने की भी मांग उठाई गई. इसे लोगों और मुख्य संस्थानों के बीच साझा प्रयासों के ज़रिये और ज़्यादा प्रसारित किया जाना चाहिए, ताकि जल संरक्षण को बढ़ावा मिले और उसे स्थायी बना सके.
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जल संरक्षण को लेकर निगरानी और सामूहिक शासन के ज़रिये पानी की साक्षरता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. शहरी जल प्रबंधन को सरकार, उद्योग और शिक्षाविदों सहित कई हितधारकों के साथ बढ़ावा देने की भी ज़रुरत है ताकि जल संरक्षण, प्रदूषण से बचाव, और प्रभावी जल संचयन उपायों के ज़रिये स्वच्छ और सुरक्षित पीने के पानी को सुनिश्चित किया जा सके.
कृषि सलाहकार केंद्र किये शुरु
स्थानीय खाद्य प्रणाली को बढ़ावा देने की ज़रुरत पर भी जोर दिया गया. किसान प्रोड्यूसर कंपनियों और किसान संघों के ज़रिये स्थानीय खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग की जानी चाहिए. संसाधन प्रबंधन के लिए किसानों को नई कृषि प्रथाओं जैसे जैविक खेती और प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. पंचायत और गांव स्तर पर कृषि सलाहकार केंद्रों की स्थापना कर, उपभोक्ताओं और किसानों तक सही जानकारी पहुंचाई जानी चाहिए.
DHAN Foundation लगातार अपनी सामाजिक विकास पहलों के ज़रिये समाज कल्याण के लिए काम कर उदाहरण पेश कर रहा है. इन पहलों के ज़रिये ग्रामीण समुदायों, खासकर ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक आज़ादी हासिल करने में मदद मिल रही है.